लगातार बढ़ रहे सड़क हादसे पर विराम लगाने के लिए सरकार के आदेश पर हर जिले में गाड़ी चालकों के लिए ड्राइविंग क्षमता की जांच हेतु पहले फेज में एक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण किया जाना है। बिहार राज्य पथ परिवहन लिमिटेड के बेला स्थित जमीन को परिवहन विभाग ने चिन्हित कर लिया है। इसके निर्माण के लिए विभाग से लगभग 30 लाख रुपया मिला है। लगभग 65 लाख रुपए खर्च कर इसका निर्माण किया जाना है, जिसकी पहली इंस्टॉलमेंट जारी हो गई है।
बता दें कि पहले सवा करोड़ रुपए का स्टीमेट बना, मगर मंजूरी नहीं मिलने पर फिर से एस्टीमेट तैयार हुआ था। टेंडर हो गया है अब भवन निर्माण विभाग के द्वारा निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जानी है। निर्माण करने वाली एजेंसी को बाकी की राशि डिपॉजिट करने को कहा गया है। डीटीओ सुशील कुमार ने जानकारी दी कि राशि आवंटन हो गया है जिसे प्रशासनिक मंजूरी के साथ भवन निर्माण विभाग को मुहैया करा दिया जाएगा। निर्माण जल्द ही पूरा करने को एजेंसी को कहा गया है, जिससे टेस्टिंग शुरू हो सके।
सामान्य लाइसेंस जारी करने से पूर्व ड्राइविंग जांच की परीक्षा कंप्यूटर और मैनुअल से होती है, यह तरीका पारदर्शी एवं उपयोगी नहीं है। इसका फायदा कई दलाल उठाते हैं। मगर ट्रैक बन जाने के बाद लर्निंग लाइसेंस तथा फाइनल लाइसेंस जारी करने से पहले इस टेस्टिंग ट्रैक में उन्हें परीक्षा देना जरूरी होगा। चालकों के ड्राइविंग क्षमता की जांच करने का जिम्मा प्रभारी एमवीआइ को होगा। बिना जांच के कोई भी ड्राइवरी लाइसेंस निर्गत नहीं होगा।
चालको को इस ट्रैक पर गाड़ी चलाकर दिखाना होगा, ट्रैक के अलग-अलग तरीके मोड़ बने होंगे। फिल्ड में खड़ा होकर परिवहन विभाग की एक टीम उन्हें देखेगी, दूसरी टीम सीसीटीवी से निगरानी करेगी और चालक के गाड़ी की रफ्तार और बैलेंस क्या है इस पर नजर रखेगी। उन्हें सड़क संबंधित साइनएज की जानकारी है या नहीं। ट्रैक के जगह-जगह पर कैमरे लैस होंगे। निर्धारित से कम अंक प्राप्त होने पर उन्हें पुनः टेस्ट देना होगा। यह तमाम प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। पास करने के बाद ही चालक को लर्निंग और फाइनल लाइसेंस निर्गत होगा।