बिहार सरकार लगातार राज्य में निवेशकों को अपनी ओर खींचने के लिए प्रयासरत हैं। उद्योग विभाग और श्रम विभाग द्वारा निरंतर प्रयास के नतीजे भी सामने आने लगे हैं। राज्य के बाहर कुछ और बाहरी निवेशक बिहार में निवेश करने में रुचि दिखा रहे हैं। बिहार सरकार को सैमसंग और डालमिया जैसी विकास कंपनी ने इस आशय का प्रस्ताव सौंपा है। इन्होंने बिहार में अपनी प्लांट लगाने की इच्छा जाहिर की है खासकर मुजफ्फरपुर में। यदि सही दिशा में काम होता है तो वह यहां के युवाओं को बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
मुजफ्फरपुर जिले को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से सरकार फूड पार्क से लेकर टेक्सटाइल पार्क बनाने की कवायद में जुटी हुई है। इस बीच जिले को आईटी हब के रूप में विकसित करने की चर्चा जोरों पर है। राज्य के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार हाल ही में दुबई दौरे पर थे। अब वहां के एक्सपर्ट टीम मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई शहरों में इसकी संभावनाओं की तलाश।
श्रम संसाधन मंत्री ने जानकारी दी कि आईटी के क्षेत्र में निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए उन्होंने कहा है। उन्हें इस बात की जानकारी दी गई कि बिहार में बड़ी क्रांति आ चुकी है। आधारिक के विकास के लिए कई योजनाएं बन रही है। इसके अलावा भी कोई अपने हिसाब से इनमें निवेश करना चाहती है तो सरकार जरूर विचार करेगी। आइटी डाटा सेंटर, आइटी पार्क या आइटी सिटी के लिए मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया, पटना, भागलपुर जैसे शहरों में निवेश पर विचार विमर्श हुआ है। निवेशकों का रूख सकारात्मक दिखा है। मंत्री ने कहा कि राजगीर में सिटी के लिए 125 एकड़ भूमि उपलब्ध हो गई है।
दूसरी और मोबाइल की दिग्गज कंपनी सैमसंग मुजफ्फरपुर में अपनी यूनिट स्थापित करने की इच्छा जाहिर की है। कंपनी को प्लांट के लिए 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। इसके अलावा डालमिया सीमेंट कंपनी भी जिले में यूनिट लगाने के लिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। बियाबान मिली जानकारी के मुताबिक सैमसंग का प्रस्ताव अभी सरकार को नहीं मिला है। प्रस्ताव मिलने पर मोतीपुर, बेला या गोरौल में भूमि उपलब्ध कराई जा सकती है। केंद्र सरकार के पास डालमिया सीमेंट कंपनी का प्रस्ताव है। वहां से दिशा-निर्देश के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार ने जानकारी दी कि मुजफ्फरपुर में 5 एकड़ जमीन में कर्मचारी राज्य बीमा निगम हॉस्पिटल बनाया जाएगा। जिला प्रशासन से भूमि उपलब्ध कराने को कहा गया था लेकिन उपलब्ध नहीं हो सका। अब अस्पताल बनाने के लिए श्रम संसाधन विभाग इतनी जमीन खरीदेगी। अस्पताल निर्माण होने से उत्तर बिहार के कर्मचारियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगा।