मुजफ्फरपुर के लोगों के लिए के लिए हवाई सेवा सपना कैसा है। समय-समय पर सरकार वादे किए हैं, लेकिन उन्हें हकीकत में बदलने में असफल रही है। जमीन अधिग्रहण का मामला हो या रनवे छोटा होने का, कोई ना कोई ऐसी दिक्कतें सामने आ जाती है, जिससे यह सपना सपना ही रह जाता है। एक बार फिर से मुजफ्फरपुर से हवाई सेवा शुरू होने की उम्मीद जग गई है। ऐसा लग रहा है इस बार सपना हकीकत में बदलेगा। ऐसा इसलिए कि इस बार किसी नेता या जनप्रतिनिधि ने नहीं न्यायालय की ओर से आदेश आया है।
तमाम वादे और घोषणाओं के बाद भी पताही हवाई अड्डे से हवाई सेवा अब तक शुरू नहीं हो सका है। पटना उच्च न्यायालय के आदेश से उड़ान की संभावनाओं के साथ एयरपोर्ट को क्रियाशील करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। न्यायालय के आदेश के बाद अपर समाहर्ता राजेश कुमार ने चार सदस्य कमेटी बनाई है। कमेटी का काम एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की वास्तविक को चिन्हित करना है। कमेटी में जिला राजस्व प्रशाखा के एसडीसी सारंग पाणि पांडेय के अलावा मुशहरी, कुढऩी व मड़वन के सीओ शामिल है। भू-अर्जन कार्यालय के सहायक उमेश कुमार को सहयोग के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है।
बता दें कि गौरव कुमार सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने कहा था कि सूबे में में तीन एयरपोर्ट पटना, गया और दरभंगा ही चालू है। वहीं, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, फारबिसगंज (जोगबनी), रक्सौल और मुंगेर क्रियाशील नहीं है। इसका क्या वजह है। इन कारणों की जानकारी उपलब्ध कराने को हाईकोर्ट ने कहा है। उधर, विकास आयुक्त को सभी स्टेक होल्डरों के साथ मीटिंग कर यह निर्धारित करने का जिम्मा सौंपा गया है कि एयरपोर्ट को विस्तारित, क्रियाशील या चालू करने की संभावनाएं देखें। दो सप्ताह के भीतर विकास आयुक्त को रिपोर्ट तैयार करके देना है।
बता दें कि साल 2017 में पताही एयरपोर्ट के लिए 475 एकड़ जमीन को लेकर जिला भू-अर्जन अधिकारी से प्राक्कलन तैयार कराया गया था। सिविल विमानन निदेशालय, एयरपोर्ट के तत्कालीन निदेशक के कहे जाने पर यह प्राक्कलन तैयार हुआ था। उस समय के सर्किल दर के अनुरूप इसके लिए लगभग 70 अरब रुपये खर्च होने का आंकलन कहा गया था।
पूर्व में जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय उड्डयन मंत्रालय को रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा समय में पताही एयरपोर्ट के लिए उपलब्ध जमीन में अधिकतम 350 मीटर का रनवे ही तैयार हो सकता है। इतनी लंबी रनवे पर बड़े विमान का उड़ान संभव नहीं है। बड़े और वाणिज्यिक उड़ान के लिए कम से कम छह हजार फीट यानी 1829 मीटर लंबा रनवे होना चाहिए। इतना लंबा रनवे बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण में 70 अरब रुपए की लागत आएगी।