बिहार के मुजफ्फरपुर से गुड न्यूज़ समय आ रही है। मुजफ्फरपुर जिले के लंगट सिंह कॉलेज की वेधशाला को यूनेस्को ने लुप्तप्राय विश्व विरासत की लिस्ट में जगह दी है। हाल ही में खगोलीय वेधशाला मुजफ्फरपुर को विश्व की महत्वपूर्ण लुप्तप्राय विरासत वेधशालाओं की यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हुआ है। बता दें कि साल 1916 में यह वेधशाला स्थापित हुई थी।
बता दें कि एलएस कॉलेज में साल 1916 में वेधशाला की स्थापना हुई, जहां छात्रों को खगोलीय जानकारी दी जाती थी। उपकरण खराब होने के वजह से 70 के दशक में इस पर ताला लग गया। चार वर्ष पहले पत्रिका के लेख पर यूनेस्को की नजर गई। प्रो जेएन सिन्हा ने 13-26 अक्टूबर 2018 के फ्रंटलाइन पत्रिका के अंक में ‘एक वेधशाला की गिरावट’ टाइटल से एक आर्टिकल लिखा था, जिस पर यूनेस्को के सदस्यों की नजर गई।
प्रो सिन्हा हिस्ट्री ऑफ साइंस इंटरनेशनल समिति के सदस्य भी है, जिस वजह से उनका लेख काफी महत्वपूर्ण हो गया। उदासीनता का शिकार यह वेधशाला फिलहाल बंद है। मेंटेनेंस के अभाव में यहां केवल उपकरणों का ढांचा बचा हुआ है। ऐसे में इस वेधशाला का जीर्णोद्धार कर पुन: पुराना गौरव प्राप्त करने की जरूरत है। इसके लिए मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज के द्वारा कोशिश शुरू किए जाने की बात कही गई है।
वेधशाला के विरासत की लिस्ट में जगह मिलने पर प्राचार्य डॉ ओपी राय ने कहा कि धरोहर को सजने एवं सजाने के लिए मिलकर हर तरह का प्रयास होगा। यह खुशी की बात है कि 5 शिक्षक तथा 72 छात्रों के साथ 3 जुलाई 1899 में बनाया कॉलेज दिन-ब-दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसको संवारने और संजोने के लिए हर तरह की कोशिश जारी है और आगे भी होगा। तारामंडल और वेदशाला के जीर्णोद्धार हेतु राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक पहल की जा रही है।