मिथिला की सुप्रसिद्ध रोहू मछली का उत्पादन और बढ़ाने को लेकर दर्जनों तालाब का निर्माण चल रहा है। मधुबनी जिले में रोहू मछली उत्पादन बढ़ाने को लेकर तकरीबन 50 नए तालाबों को जोरों-शोरों से बनाया जा रहा है। दूसरी और मिथिला के रोहू मछली को जीआई टैग दिलाने के लिए मांग तेज हो गई है। जिले के खुटौना व बेनीपट्टी समेत अन्य क्षेत्रों में एक दर्जन तालाब का निर्माण हो चुका है। इस वर्ष से इन तालाबों से सालाना एक हजार टन रोहू मछली का उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है।
फिलहाल जिले में सालाना रोहू मछली का उत्पादन 17000 टन के करीब है। इसके अलावा कतला, नैनी व रोहू सहित अन्य मछलियां साल में 73 हजार मैट्रिक टन उत्पादन हो रहा है। नए तालाब के निर्माण से मछली पालन के साथ जल संरक्षण को बल मिलेगा। नए तालाब मानसून की बारिश से लबालब भरे होंगे। बताते चलें कि प्रधानमंत्री माता से संपदा योजना और शेष मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के अंतर्गत जिले में 34 तालाब का निर्माण चल रहा है।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत तालाब निर्माण पर सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को 40 प्रतिशत जबकि महिला और एसटी वर्ग के लोगों को सब्सिडी के तौर पर 60 प्रतिशत राशि दी जा रही है। मुख्यमंत्री माता से विकास योजना के तहत तालाब बनाने पर अनुदान के तौर पर 90 प्रतिशत राशि दी जा रही है। बता दें कि मार्केट में रोहू मछली 280 से 300 रुपए प्रति किलो के बीच है।
रहिका ब्लाक के मत्स्यजीवी सहयोग समिति के झड़ीलाल सहनी का कहना है कि नए तालाब के निर्माण से जिले में निश्चित रूप से रोहू मछली के उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि होगी। सहनी ने बताया कि बंदोबस्त तालाबों को अतिक्रमण से निजात कराने के लिए सरकार को पहल करना होगा। जिला मत्स्य पदाधिकारी विनय कुमार का कहना है कि रोहू मछली को जीआई टैग मिलने से जिले में इसके उत्पादन में और वृद्धि होगी। बिहार बा देश के दूसरे राज्यों में भी इसकी मांग में इजाफा होगा। इससे मछली उत्पादकों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान समय में बंगाल के सिलीगुड़ी और नेपाल सहित दूसरे हिस्सों में भी रोहू मछली का निर्यात किया जाता है।