बिहार सरकार ने मिथिला की सुप्रसिद्ध रोहू मछली को जीआई टैग दिलाने हेतु केंद्र से संपर्क करने का निर्णय लिया है। बुधवार को बिहार के मत्स्य विभाग के निदेशक निशांत अहमद ने जानकारी दी कि मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली के अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने दो एक्सपर्टों को नियुक्त किया है।
निदेशक ने कहा कि ‘कार्प की सबसे विशिष्ट प्रजातियों में से एक मिथिला इलाके की रोक मछली खासतौर पर मधुबनी और दरभंगा जिलों में अपने स्वाद के लिए बेहद मशहूर है। हमने मछली पर विस्तार रूप से रिपोर्ट तैयार करने और अध्ययन के लिए दो विशेषज्ञों को नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के बाद मिथिला की मछली को जीआई टैग दिलाने के लिए केंद्र के वाणिज्य मंत्रालय से संपर्क साधेंगे।
बता दें कि उत्पाद को एक विशेष क्षेत्र से उत्पन्न होने की पहचान जीआई टैग दिलाता है। मिथिला इलाके में बिहार, और झारखंड और नेपाल का कुछ तराई वाला हिस्सा शामिल है। निदेशक अहमद ने कहा कि हमें पूर्ण आशा है कि इस क्षेत्र की लोग मछली को जीआई टैग मिल जाएगा। इससे इलाके में लोगों के उत्पादन में लगे हैं किसानों को लाभ होगा क्योंकि उन्हें एक बड़ी बाजार और एक नई पहचान मिलेगी। इसका डायरेक्टर असर उनकी आमदनी पर पड़ेगा।
जीआई टैग मिलने की बात पर भाजपा के नेता और दरभंगा के स्थानीय विधायक संजय सरावगी ने कहा कि मिथिला क्षेत्र ‘माछ, पान और मखाना’ के लिए प्रसिद्ध है। विशेष तौर पर क्षेत्र के लोगों मछली अपने स्वाद के वजह से बिहार, झारखंड और दूसरे राज्यों में खासा लोकप्रिय है। अन्य राज्यों में पाई जाने वाली लोगों की प्रजातियों से क्षेत्र की रोहू मछली का स्वाद अलग है। मुझे पूर्ण उम्मीद है कि मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली को जीआई टैग मिलेगा। पशु और मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा पहल की उन्होंने तारीफ की।
राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के एसोसिएट प्रोफेसर (एक्वाकल्चर) डॉ. शिवेंद्र कुमार कहते हैं कि बिहार सरकार के मत्स्य पालन विभाग द्वारा यह अच्छी पहल है। इसके लिए गहन शोध कार्य की जरूरी है और हमें निष्कर्षों का इंतजार करना चाहिए। अगर मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली को दिया इस तरह के प्राप्त हो जाता है तो इस इलाके के उत्पादन में लगे लोगों को काफी फायदा होगा।
हाल ही में जीआई टैग रजिस्ट्री ने ‘बिहार मखाना’ का नाम बदलकर ‘मिथिला मखाना’ करने की याचिका पर सहमति जताई है। पहले से ही बिहार के ‘जरदालु आम’, ‘कतरनी चावल’, ‘शाही लीची’ और ‘मगही पान’ को जीआई टैग मिला हुआ है।