बिहार में साल में 1934 के दौरान आए भयंकर भूकंप से कोसी नदी पर निर्माणाधीन पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद दरभंगा-सहरसा रेल रुट पर ठप ट्रेन सेवा लगभग 87 साल बाद 30 जून से शुरू हाेगा। दशकों बाद ट्रेन परिचालन शुरू होने से खुशी और मिथिला के बीच संबंध और मजबूत होंगे। रेलवे प्रशासन के अनुसार नई दरभंगा-सकरी-झंझारपुर-कूपहा-आसानपुर-सुपौल-सहरसा रेलखंड का निर्माण काम काफी तेजी से किया जा रहा है।
मौजूदा समय में दरभंगा वासियों को सहरसा जाने के लिए ट्रेन से समस्तीपुर होते हुए खगड़िया जाना पड़ता है। जबकि 1934 से पूर्व दरभंगा सकरी निर्मली फारबिसगंज के रास्ते सहरसा की डायरेक्ट ट्रेन सेवा थी। नई रेल खंड के निर्माण से दरभंगा से सहरसा लोग मात्र 2 घंटे से ढ़ाई घंटे में पहुंच जाएंगे। वर्तमान में समस्तीपुर के रास्ते खगड़िया जाने में पांच से 6 घंटे लगते हैं। नए रेलखंड पर सफर करने से यात्रियों को समय की भी बचत होगी और आर्थिक नुकसान भी नहीं होगा।
बता दें कि नए रेल खंड पर इसकी दूरी 51 किलोमीटर की हो जाएगी। रेलवे द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार सहरसा दरभंगा के बीच कोसी पर नए पुल का निर्माण भी पूरा हो चुका है। रेलवे ट्रैक के माध्यम से इस पुल को सरायगढ़ से जोड़ दिया गया है। सकरी निर्मली रेलखंड का निर्माण भी लास्ट दौर में है। इसके पूर्ण होते ही दरभंगा-सकरी-झंझारपुर-सरायगढ़-सहरसा रेलखंड पर ट्रेन दौड़ेगी। पहले इस रूट की दूरी 176 किलोमीटर है जबकि नए रेल खंड का निर्माण पूरा हो जाने के बाद सहरसा से दरभंगा की दूरी केवल 125 किलोमीटर रह जाएगी। सहरसा से दिल्ली की दूरी भी घटेगी।
कहा जाता है कि 1934 के दौरान आए भूकंप ने कोसी नदी पर बन रहे पुराने पुल को पूरी तरह तबाह कर दिया था। 1.88 किलोमीटर लंबी रेल पुल की चौड़ाई 45.7 मीटर है। कुल 39 स्पैन हैं। इसे बनाने में लगभग 620 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई है। एमबीजी लोडिंग क्षमता के अनुसार नए पुल का स्ट्रक्चर तैयार किया गया है। समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम आलोक अग्रवाल बताते हैं कि 30 जून तक दरभंगा सहरसा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। विलंब होने का वजह कुछ तकनीकी कारण हैं।