एक बार फिर भागलपुर में बड़े स्तर पर गन्ना का उत्पादन होगा। सरकार छह साल बाद गन्ना किसानों को सहायता करने जा रही है। बीज तैयार करने के लिए आधा हेक्टेयर में एक हजार क्विंटल के रेट से 30 क्विंटल आधार बीज उपलब्ध कराने का काम जारी है। इसके लिए पीरपैंती के किसान अवधेश कुमार को शॉर्टलिस्ट किया गया है। आल्हा हेक्टेयर में 300 क्विंटल बीज तैयार हो जाएगा। इस बीच से अगले वर्ष 5 हेक्टेयर में गन्ने की खेती होगी। बता दें कि एक हेक्टेयर में 60 क्विंटल बीज लगता है। सरकारी सब्सिडी पर किसान गन्ना की खेती कर सकेंगे। किसानों को सब्सिडी रेट पर 2015 से 16 तक बीज उपलब्ध कराया जाता था। इसके बाद गन्ना किसानों को कोई मदद नहीं मिल रही थी।
छह साल के लंबे इंतजार के बाद गन्ना किसानों को सरकार मदद कर रही है। और सरकार ने गन्ना किसानों को सब्सिडी देने का फैसला लिया है। इस व्यक्ति ने गन्ना किसानों को क्रासर व कड़ाह देने का डिसीजन सरकार ने लिया है। बता दें कि क्रासर व कड़ाह की कीमत 90 हजार है। अनुदान के तौर पर किसानों को 45 हजार रुपए मिलेगी। किसानों को इसका लाभ लेने के लिए आवेदन करना होगा।
विभाग अपनी ओर से गन्ना की खेती करने वाले किसानों को ट्रेनिंग दे रही है। इस वर्ष राज्य के बांका और भागलपुर के 40-40 किसानों को ट्रेंड किया गया है। भागलपुर के पीरपैंती ब्लाक में गन्ना किसानों को ट्रेंड किया गया है। गन्ना की खेती के किसानों को प्रोत्साहित किया गया। इसके खेती से होने वाले लाभ के बारे में किसानों को अवगत कराया गया।
बता दें कि मिठास और भरपूर रस के वजह से एक समय भागलपुर के गन्ने को देश ही नहीं विदेश में भी निर्यात किया जाता था। दूसरे राज्यों के लोग गन्ने से तैयार गुर लेने के लिए यहां आते थे। नकदी फसल मानकर किसान गन्ने की खेती करते थे। किसानों को परंपरिक फसल यानी धान, गेहूं के अपेक्षाकृत गन्ना से ज्यादा आमदनी होती थी। सरकार भी गन्ना किसानों को प्रोत्साहित कर रही थी। लेकिन सब्सिडी बंद होने और संसाधनों की कमी के चलते गन्ना की खेती धीरे-धीरे समाप्ति की ओर चली गई।
बताया जाता है कि आज से चार दशक पूर्व जिले में लगभग 2500 से 3000 हेक्टेयर में गन्ने की खेती में की थी। जो आज सिमटकर 583 हेक्टेयर में हो गई है। सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाने, लागत अधिक और बाजार नहीं मिलने के वजह से किसानों ने गन्ने की खेती से दूरी बना ली है। यहां के किसानों ने दैनिक जागरण को बताया कि बारिश कम होने और सिंचाई की सुविधा के अभाव में गन्ने की खेती घाटे के सौदे में बदल गया है। फसल की उचित कीमत भी किसानों को नहीं मिल रहा है। यही कारण रहा है कि गन्ने की खेती से किसानों ने मोड़ लिया है।