स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से भागलपुर शहर के बरारी पुल घाट पर रिवर फ्रंट का काम सातवें दिन भी बाधित रहा। वन विभाग और स्मार्ट सिटी के अफसरों के बीच नियमों को लेकर जारी विवाद पर अंकुश नहीं लगा। वाइल्ड लाइफ सेंच्यूरी एक्ट के तहत रिवर फ्रंट के काम को लेकर एप्लीकेशन नहीं करने पर वन विभाग ने काम रोक दिया है। इसके बाद भले ही भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गई हो। लेकिन, मामला नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट पर आकर अटक गया है। वन विभाग के रेंज अधिकारी ब्रज किशोर सिंह ने मंगलवार को डीएम के आदेश पर बरारी रिवरफ्रंट के कामों का अवलोकन किया।
निरीक्षण करने के दौरान वन विभाग के रेंज अधिकारी के साथ भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीजीएम संदीप कुमार भवन की पूरी तकनीकी टीम उपस्थित रहीं। घाट के तट पर पाइलिंग और मिट्टी भरने के साथ ही रास्ता का लगभग आधे घंटे तक उन्होंने मुआयना किया। रेंज अधिकारी ने नियमों के बारे में बताते हुए कहा कि गंगा तट से 200 मीटर की दूरी तक निर्माण पर पूरी तरह रोक है।
यह एरिया पूरी तरह से डॉल्फिन का अभ्यारण क्षेत्र है। ऐसे में वाइल्ड लाइफ सेंच्यूरी नियम के तहत परमिशन मिलने पर ही काम हो पाएगा। उन्होंने जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी द्वारा आवेदन दिया गया है। इस मौके पर रिवर फ्रंट की कार्ययोजना से जुड़ी हुई पूरी रिपोर्ट मांगी गई। ढांचा भी उपलब्ध कराया।
इसके साथ ही रेंज अफसरों ने बूढ़ानाथ इलाके में नदी के तट पर निर्माण का जायजा लिया। यहां पर नदी के किनारे सीढियां का निर्माण हो रहा है। रेंज अधिकारी ने घाट निर्माण को लेकर डीएफओ से रिपोर्ट मांगी है। मिल रही जानकारी के मुताबिक रिवर फ्रंट पर रोक लगाने का मामला राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया है। कंपनी ने इसकी शिकायत वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को दर्ज कराई है।