सरकार बिहार को एक और एक्सप्रेस-वे की सौगात देने जा रही है। गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक एक्सप्रेस-वे में बनाने की योजना है। सड़क का अधिकांश हिस्सा यूपी के जिलों से होकर गुजरेगा वहीं उत्तर बिहार के कई जिलों की सूरत बदलेगी। बिहार के लोगों को यूपी और बंगाल जाने का आवागमन सुलभ होगा वहीं व्यापारिक दृष्टिकोण से भी वरदान साबित होगा। एक्सप्रेस-वे निर्माण को लेकर केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। आगे का काम पथ निर्माण विभाग करेगी।
बता दें कि गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक जाने के लिए कोई सीधी सड़क नहीं है जिस कारण लोगों को दूरी तय करने में एक दिन का समय लग जाता है। नए एक्सप्रेस-वे का निर्माण होता है तो दोनों शहरों के बीच की दूरी घटकर 600 किलोमीटर से भी कम हो जाएगी। छह- आठ लेन की बनने वाली इस एक्सप्रेस-वे में से 416 किलोमीटर बिहार से होकर गुजरेगी। एक्सप्रेस-वे के निर्माण से सबसे अधिक फायदा बिहार को मिलने वाला है। एक्सप्रेस-वे के मामले में बिहार की स्थिति दयनीय है। गत दिनों ही केंद्र सरकार ने गोरखपुर से सिलीगुड़ी के बीच एक्सप्रेस-वे बनाने को हरी झंडी दे दी है।
गोरखपुर से सिलीगुड़ी के बीच बनने वाला सड़क बिहार का चौथा एक्सप्रेस-वे होगा। एक्सप्रेस-वे यूपी के गोरखपुर से शुरू होकर बिहार के गोपालगंज में प्रवेश करेगी। इसके बाद सीवान, छपरा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज के रास्ते सिलीगुड़ी तक जाएगी। एक्सप्रेस-वे का पूरा हिस्सा ग्रीनफील्ड होगा। किसी पुरानी सड़क को एक्सप्रेस-वे में शामिल नहीं करने का फैसला लिया गया है।
पथ परिवहन मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि गोरखपुर से सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के निर्माण से सबसे ज्यादा बिहार को लाभ होगा। खासकर उत्तर बिहार के लिए यह सड़क वरदान साबित होगा। लोगों का सफर आसान होगा और विकास के नए दरवाजे खुलेंगे।