भारत सरकार से तमकुहीराज से बेतिया को कनेक्ट करने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 727 एए के निर्माण को हरी झंडी मिल गई है, जिससे तमकुहीराज से सेवरही-पिपराघाट के रास्ते पखनहा पटजीवा तक सड़क और गंडक नदी पर पुल बनेगा। बिहार के बेतिया जिले में पिछले दिनों नेशनल हाईवे 727 एए के परियोजना परामर्शी कमिटी की बैठक संपन्न हुई। इसमें 3000 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली। इससे रेता इलाके का चतुर्दिक विकास होगा तो सेवरही से बेतिया की 225 किमी दूरी से घटकर केवल 21 किलोमीटर हो जाएगी।
नेशनल हाईवे 727 एए बिहार के मनुपुल के समीप एनएच 727 से शुरू होकर सेवरही के पास एनएच 730 पर खत्म होगा। नारायणी नदी पर ओवरब्रिज, पिपराघाट पखनहा महासेतु पुल, नई सड़क और बाईपास का निर्माण होना हैं। दरअसल, भगवान बुद्ध की जमीन कुशीनगर और बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में करीबी संबंध है।
पश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया में राजा नंद के द्वारा बनवाया गया चैत्य और सम्राट अशोक के द्वारा निर्मित अशोक स्तंभ, बुद्ध की निर्माण स्थली कुशीनगर से केवल 70 किमी दूर है, लेकिन नारायणी नदी पर पुल नहीं होने से यह दूरी 100 किमी में बदल जाती है। सेवरही से बेतिया केवल 21 किमी दूर है, जो पुल न होने के वजह से एनएच 28 होते हुए 225 किमी हो जाती है।
बाढ़ पर अंकुश लगने से कृषि सेक्टर में रोजगार के अवसर सृजित होंगे। पुल निर्माण संघर्ष समिति के चेयरमैन और नगर पंचायत अध्यक्ष श्यामसुंदर ने इसे जनता की जीत बताते हुए कहा कि यह संघर्षों की जीत है। इस प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने से संघर्ष को नया मुकाम मिला है। पुली के मान से दूरी घटेगी और प्रस्तावित नक्शे के अनुसार पुन निर्माण होने के पश्चात अलग-अलग लोगों की आपसी दूरी काफी कम होगी।