अब बिहार राज्य में पान के पत्तों से औषधीय तेल को निकाल जाना तय किया गया है। पान की खेती को शेडनेट में करने की प्रक्रिया की जाएगी। यह परीक्षण बिहार कृषि विश्वविद्यालय, नालंदा जिला के इस्माइलपुर के पान अनुसंधान केंद्र में होना तय किया गया है। दोनों व्यवस्था के लिए बिहार राज्य सरकार में बिहार यूनिवर्सिटी को जो भी राशि खर्च आनी है वह आवंटित करा दी है। शेडनेट पति से पान खेती का प्रदर्शन सरकार के खर्चे पर पान उत्पादक जिलों में किया जाना है। परीक्षण के सफल होने पर पान उत्पादक जिले के किसानों को भी जोडने की क़वायद दी जा रही है।
बिहार राज्य सरकार की योजना के अनुसार प्रयोगों के पूर्ण होने पर बिहार के सभी जिलों में पान उत्पादक को शेडनेट अनुमानित मूल्य पर दी जाएगी। पान के पत्तों से तेल निकालने के लिए छोटी यूनिट भी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। आपको बता दें कि शेडनेट की खेती से मौसम की प्रकोप से होने वाले नुकसान से किसानों को छुटकारा मिलेगी जिससे उत्पादकता भी काफी बढ़ेगी। पान के पत्ते से तेल निकालने के पश्चात किसानों को इससे ज्यादा मुनाफा मिल सकेगा। बिहार सरकार ने यह पहल पान उत्पादक किसानों के लाभ में बढ़ोतरी करने के लक्ष्य से की है।
साथ ही बता दें कि पान से निकलने वाले तेल में औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। राज्य में पान की खेती तो किसान ही करते हैं परंतु किसानों के पास तेल निकालने के लिए कोई मशीन नहीं है। अब बिहार सरकार के इस योजना से प्रतिकूल मात्रा में भी पान की उत्पादकता में वृद्धि करेंगे वहीं उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। इस योजना को मुख्य रूप से राज्य के नवादा, नालंदा, गया, वैशाली, खगड़िया, दरभंगा, भागलपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, औरंगाबाद, शेखपुरा, सारण, सीवान और मुंगेर व मधुबनी के लिए है।