बिहार म्यूजियम दर्शकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा जिसकी कवायद तेज हो चुकी है। म्यूजियम में 62 अलग-अलग प्रदर्शन लगाए जाएंगे। दर्शकों को गुप्त काल से पहले और उसके बाद के इतिहास के साथ जैनिज्म, बुद्धिज्म से मौर्य तक के इतिहास से अवगत कराया गया है। गैलरी का मुख्य आकर्षण का केंद्र जहानाबाद की बराबर गुफाएं, तोरण द्वार, राजगीर की साइक्लोपियन दीवार, कलिंग युद्ध, पावापुरी जल मंदिर है। सभी का काम पूरा हो चुका है। कुछ कलाकृतियों को शोकेस में इंस्टॉल भी किए जा रहे हैं। दिसंबर के अंत तक या तैयार भी हो जाएगा। जर्मनी से आए कारीगर कलाकृतियों को इंस्टॉल करेंगे। कोरोना के चलते वीजा नहीं मिल पाने से जर्मनी के कारीगर फिलहाल आने में असमर्थ है। म्यूजियम प्रशासन कोशिश में लगी है कि आम दर्शकों के लिए नए साल में गैलरी को खोल दिया जाए।
गैलरी के प्राकृतिक की खूबियों की बात करें तो इसमें राजगीर की साइक्लोपियन दीवार के एक 40 किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवार है, जो बाहरी आक्रमणकारियों और दुश्मनों से प्राचीन शहर को महफूज किया था। इसमें गाया जिले से 24 किलोमीटर दूर जहानाबाद के बराबर गुफाएं की भी झलक देखने को मिलेगी। बता दें कि चट्टानों से काटकर बनाई गई यह सबसे पुरानी गुफाएं है। मौर्य काल से संबंधित यह गुफाएं अशोक के शिलालेख को दर्शाती है।
नवादा का पावापुरी जल मंदिर जहां सालों भर पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति अर्थी पवित्र शहर में जल मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। 261 ईसा पूर्व में लड़ा गया भारतीय इतिहास के सबसे भयानक युद्ध में से एक कलिंग युद्ध प्राचीन है। राजा अशोक द्वारा लाई गई या पहली और अंतिम युद्ध थी इसी ने उनके जीवन के तरीकों को बदल दिया था। बता दें कि अशोक के शासनकाल में 8वें साल में कलिंग की लड़ाई शुरू हुई थी।
बिहार म्यूजियम के निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि नए साल पर बिहार म्यूजियम की सबसे बड़ी गैलरी को आम दर्शकों के लिए खोलने की कोशिश में हमलोग जुटे हुए हैं। पूर्ण रूप से तैयार होते ही गैलरी खोलने पर निर्णय लिया जाएगा। वीजा नहीं मिल पाने के कारण जर्मनी के कारीगर नहीं आ रहे हैं। गैलरी गुप्तकाल से पहले और उसके बाद के इतिहास के साथ जैनिज्म, बुद्धिज्म से मौर्यकाल तक के इतिहास को दर्शाएगी।