तीन साल बाद एक बार फिर बिहार के नदियों में डॉल्फिन की गिनती होगी। इसको लेकर कवायद शुरू हो चुकी है। सरकार प्रत्यक्ष गणना के तहत डॉल्फिन की गिनती करेगी। तीन साल पहले जिस टीम ने डॉल्फिन की गणना की थी सरकार ने उसी टीम को डॉल्फिन गणना कि कमान सौंपी है। डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि हुई है या कमी आई है इसकी सही आंकलन इसी के जरिए हो सकेगा। इस बार डायरेक्ट काउंट मेथड के तहत डॉल्फिन की गिनती की जाएगी।
बता दें कि तीन साल पहले राज्य की नदियों में डॉल्फिन की गिनती हुई थी। 155 स्थानों पर कुल 1464 डॉल्फिन पाए गए थे। जिस टीम ने पिछले वाले डॉल्फिन की गणना की थी उसमें वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नई दिल्ली जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया पटना और भागलपुर विश्वविद्यालय के सदस्य थे। गिनती करने के से द्रवयान इस बात पर जोड़ दिया जाएगा कि जिन जगहों पर डॉल्फिन को खतरा है, वैसे जगहों को चिन्हित कर उसके निवारण की योजना बनाई जाएगी।
बता दें कि सरकार बिहार में डॉल्फिन को बचाने के लिए कई पहल कर रही है। मछुआरे के जाल में डॉल्फिन फंसती है तो उसे छोड़ देने का निर्देश है। जाल की भरवाई बिहार सरकार करती है। टीटीआर के निर्देशक सह संरक्षक हेमकांत राय ने बताया कि गंडक नदी का क्षेत्र में टॉकिंग की संख्या के लिए गिनने आने वाली सेंसस टीम की पूरी मदद की जाएगी। डॉल्फिन न पकड़ने का निर्देश मछुआरों को पहले ही दिया जा चुका है।