बिहार की बिजली व्यवस्था के आधुनिक करने की योजना पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है। बिहार में इसके साथ ही 13 हजार करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं पर कार्य शुरू होने को हरी झंडी मिल गई है। तीन सालों में पूर्ण होने वाली इस योजना के बाद बिहार वासियों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाएगी। राज्य के किसानों को पटवन के लिए अलग से विद्युत आपूर्ति की जाएगी।
बता दें कि पूरे देश में बिजली व्यवस्था के आधुनिकीकरण हेतु रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम पेश की गई है। इसे पूरे देश में 3 लाख करोड़ रुपए खर्च करने हैं। योजना पर विचार करने के लिए बीते दिनों प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह के बीच बैठक हुई थी। उसी बैठक में बिहार में तकरीबन 13 हजार करोड़ की योजनाओं पर काम करने के बारे में बताया था।
बिजली कंपनी द्वारा इसी संबंध में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई गई थी जिसे हाल ही में राज्य कैबिनेट से स्वीकृति मिली। उसी डीपीआर पर केंद्र ने मुहर लगा दी है, जिसका ऑफिशियल पत्र शीघ्र ही बिजली कंपनी को सौंपा जाएगा। इसके बाद इन प्रोजेक्टों पर काम प्रारंभ करने हेतु टेंडर प्रकाशित की जाएगी। केंद्र सरकार को बिजली कंपनी के द्वारा 13 हजार 271 करोड़ का प्रस्ताव मिला था। इसमें केंद्र सरकार को 60 प्रतिशत राशि बाकी का 40 प्रतिशत बिहार सरकार को वहन करना है। इस हिसाब से बिहार सरकार अपने कोष से 5309 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
इस योजना के तहत प्रदेश के छह शहरों में सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एकोजिशन और प्री-पेड बिलिंग सिस्टम खुलेंगे। राज्य के मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पूर्णिया, गया, बिहारशरीफ और भागलपुर में स्काडा सेंटर सिस्टम से विद्युत वितरण प्रणाली की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी। इस कोष में 1204 करोड़ खिलाया था कि जिसमें से बिहार सरकार का हिस्सा 482 करोड़ रुपए का है। वहीं संचरण-वितरण व्यवस्था को शुद्ध रेट करने की आवश्यकता मुताबिक सब-स्टेशन, फीडर और ग्रिड बनाए जाएंगे।
सरकार घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बिजली तारों को कवर करेगी। योजना है कि हर 20 किलोमीटर पर एक फीडर बनाया जाए। अभी इसकी एवरेज दूरी 30 किलोमीटर है। इस कोष में 5372 करोड़ की लागत आएगी। इसमें राज्य सरकार अपने कोष से 2149 करोड़ खर्च करेगा। खेती करने के लिए किसानों को हर खेत में पानी उपलब्ध कराने के मकसद से तेजी से कृषि फीडर बनाने की योजना पर काम होगा। इस कोष में 6695 करोड़ की लागत आएगी। इसमें राज्य सरकार 2678 करोड़ खर्च करेगी।
मुख्य सचिव के नेतृत्व में चयनित परियोजनाओं की देखरेख और उसे रफ्तार देने के लिए रिफॉर्म्स समिति गठित की गई है। इसमें अलग-अलग विभागों के प्रधान सचिव और प्रमुख सचिव को शामिल किया गया है। इस कमेटी के संयोजक ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव हैं। नियमित रूप से यह कमेटी राज्य की बिजली परियोजनाओं की समीक्षा करेगी। राज्य सरकार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि आधुनिकीकरण योजना पर बिहार काम करने वाला पहला राज्य है, जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकृत कर दिया है।