बिहार के 11 जिले में उपलब्ध 100 हेक्टेयर से बड़े वेटलैंड यानी चौर को टूरिस्ट पैलेस के रूप में विकसित किया जाएगा। यह पानी प्रबंधन के शानदार स्रोत के तौर पर चिन्हित किए गए हैं। चौर से ही नदियां, कुएं और तालाब सहित ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है। अब तक ऐसे 64 चौर की पहचान कर कवायद की जा रही है।
ये सभी मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीवान, सारण, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, बेगूसराय, कटिहार, समस्तीपुर, बक्सर और भोजपुर जिले में हैं। उन 64 में से लगभग 28 चौर को वेटलैंड संरक्षण एवं प्रबंधन रूल्स 2017 के तहत नोटिस किए जाने की तैयारी राज्य का पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग कर रहा है। इनका क्षेत्र लगभग 9100 हेक्टयेर है और सबों का हेल्थ कार्ड बन चुका है। इसके बाद बाकी 36 वेटलैंड को अधिसूचित किया जाना है।
बता दें कि वैशाली में बरैला झील लगभग 1204 हेक्टेयर में है। वहीं सलाह चौर 638 हेक्टेयर, पुरानिया चौर 135 हेक्टेयर और मिश्रउलिया अफजलपुर लगभग 137 हेक्टयर में है। सारण जिले आटानगर 120 हेक्टेयर में और मिर्जापुर बहियार 721 हेक्टेयर में है। सीवान में सुरैला चौर 175 हेक्टेयर में है। पूर्वी चंपारण में कररियामन लगभग 148 हेक्टेयर में है। पूर्वी चंपारण में मोतीझील को विकसित करने की तैयारी है।
वहीं मुजफ्फरपुर में कोटियाशरीफ मन 155 हेक्टेयर, बनीरा राही वेटलैंड करीब 345 हेक्टेयर और मोनिका मन 105 हेक्टेयर में है।
बेगूसराय में एकंबा वेटलैंड लगभग 300 हेक्टेयर, बसाही 146 हेक्टेयर और काबर झील 2677 हेक्टेयर में है। समस्तीपुर में देबखाल चाैर तकरीबन 217 हेक्टेयर में है। दरभंगा जिले में कन्सर चौर 109 हेक्टेयर, गंगासागर झील 115 हेक्टेयर, कानाल झील 243 हेक्टेयर, हराही झील 112 हेक्टेयर, दिघि लेक 105 हेक्टेयर, सहित महापारा चौर शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक सभी चौर के बेहतर प्रबंधन हेतु जिलों में जिला अधिकारी के नेतृत्व में समिति गठित की गई है। उस समिति को चौर की पहचान का रिपोर्ट बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। इस समिति में जिले के डीएफओ मेंबर सेक्रेटरी तथा विभागों के जिला स्तर के पदाधिकारी सदस्य होंगे। इसके अलावा प्रदेश के पांच अन्य चौर को रामसर साइट घोषित करने के लिए नीतीश सरकार के द्वारा प्रस्ताव दिया गया है।