बिहार में साल 1995 से पहले के जमीनी रिकार्डो का डिजिटलाइजेशन होगा। इसकी कवायद निबंधन विभाग में शुरू कर दी है। इसके तहत जुड़े हुए अभिलेखों को डिजिटल फॉर्मेट में ऑनलाइन किया जाएगा। इसका उद्देश्य जमीन के दस्तावेज में हेराफेरी पर लगाम लगाना है। बता दें कि साल 1995 के बाद के जमीन अभिलेखों का पूर्व में ही डिजिटलाइजेशन हो चुका है।
निबंधन विभाग ने वर्ष 1995 से पहले जमीन अभिलेखों के डिजिटाइजेशन के लिए एजेंसी चयन का काम शुरू कर दिया है। एजेंसी चयन होने के बाद संबंधित जिला कार्यालय को चरणबद्ध तरीके से पूरी प्रक्रिया संपन्न कराने को कहा जाएगा। प्राथमिकता के आधार पर इसे संपन्न करने का आदेश दिया जाएगा।
बता दें कि राज्य सरकार ऑनलाइन म्यूटेशन संभव बनाने की तैयारी में जुटी हुई है। इसके लिए जमीन अभिलेखों का सत्यापन नितांत आवश्यक है। ऑनलाइन भू-अभिलेखों का सत्यापन सभी भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन बिना मुश्किल हो जाएगा। सूबे में अब तक 1995 के बाद के ही भू-अभिलेखों का सत्यापन हो सका है। 1995 से पूर्व के भू-अभिलेखों का डिजिटाइजेशन हो जाने के बाद ऑनलाइन सत्यापन का काम आसान हो जाएगा।
इससे काश्तकारों या जमीन की खरीदारी वाले दोनों का दाखिल-खारिज करना भी पहले की तुलना आसान हो जाएगा। विदित हो कि दाखिल खारिज या म्यूटेशन को ऑनलाइन संभव बनाने के लिए नीतीश सरकार आईआईटी रुड़की द्वारा डेवलप सॉफ्टवेयर को आजमाने की प्रक्रिया में है।