बिहार के सरकारी स्कूलों में छठी वर्ग से 8वीं वर्ग तक के बच्चों को तकनीकी शिक्षा दी जाएगी। ये कोर्स तीन से छह माह के होंगे। विद्यार्थियों को ट्रेनिंग के साथ ही इंटर्नशिप का मौका मिलेगा। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक छात्र व छात्राओं को रोजगार परक कौशल एवं तकनीकी रूप से एक्सपर्ट बनाना है। यह ट्रेनिंग पूरी तरह मुक्त में मिलेगा। हाल ही में केंद्र के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बिहार को विद्यालय स्तर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस सहित प्रोफेशनल एजुकेशन से जुड़े नियमित कोर्स शुरू कराने को कहा है। अगले वर्ष से 2024 तक सभी सेकेंडरी स्कूलों एवं मिडिल स्कूलों में इसे लागू कर दिया जाएगा।
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि रोबोट टेक्नोलॉजी और ड्रोन सहित उभरते हुए ऐसे सभी तकनीक में विद्यार्थियों को ट्रेनिंग दिया जाएगा, जिसकी आईटी सेक्टर और दूसरे सेक्टरों में सबसे ज्यादा डिमांड है। सभी उच्च माध्यमिक और माध्यमिक स्कूलों में इंटरनेट, डिजिटल लाइब्रेरी और स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। नौवीं कक्षा से 12वीं वर्ग में इसे एक सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाया जाएगा। विद्यार्थी अपनी रूचि के अनुसार किसी भी सेक्टर का सिलेक्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार सभी मिडिल स्कूलों में वाईफाई की सुविधा होगी और कंप्यूटर लैब स्थापित किया जाएंगे। सरकार ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
शिक्षा विभाग कहती है कि तकनीकी शिक्षा की नियामक एजेंसी ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के द्वारा स्कूली शिक्षा में सभी विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया गया है। श्रेणी से जुड़े जो कोर्स बनाए गए हैं, उनमें आईटी सेक्टर की डिमांड को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कोर्स खत्म होने के बाद छात्रों को तुरंत ही किसी प्राइवेट कंपनी में रोजगार मिल सके या फिर वह अपना स्टार्टअप शुरू कर सकें। इंटर्नशिप में प्राइवेट कंपनियों का सहयोग लिया जाएगा।