बिहार में वायु प्रदूषण का आकलन करने के लिए मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से और इससे संबंधित आम लोगों को सूचित करने के लिए जल्द ही बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तीन दिन पहले ही वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान देना शुरु कर देगा।
सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी की ओर से आयोजित जलवायु के परिप्रेक्ष्य से वायु प्रदूषण पर विचार मुद्दे पर चार दिन के कार्यक्रम इंडिया क्लीन एयर सम्मिट 2022 में बोलते हुए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. अशोक घोष ने इस बात की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगले एक वर्ष में बिहार के हर जिले में कम से कम एक वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन निर्माण करने की योजना बन रही है।
डॉ घोष ने कहा कि दो तरह की सूचनाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। पाली सूचना नीति-निर्माण और दूसरी आम लोगों के लिए। मगर इस बार का सुनिश्चित करना होगा कि वायु गुणवत्ता के रेंडम आगे शेयर करने से आम जनों में घबराहट उत्पन्न न हो। बिहार के मुजफ्फरपुर, पटना और गया नन-अटेंमेंट शहर हैं। जनवरी 2019 में राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम के तहत यहां पीएम2.5 प्रदूषण को 2017 के मुकाबले 2024 तक 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने के मकसद से स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं बनाई गई हैं।
डॉ. प्रतिमा सिंह (अध्यक्ष, सेंटर फॉर एयर पॉल्यूशन स्टडीज) ने कहा कि प्रदेश के शहरों में एक मजबूती बुनियादी निगरानी ढांचे की निर्माण से उन शहरों के लिए शानदार योजना बनाने में सहायता मिलेगी जो वायु प्रदूषण को फेस करते हैं। मगर अब तक जिनकी पहचान नन-अटेंमेंट शहर के रूप में नहीं हुई है। कम खर्च वाले सेंसर जैसे कि वैकल्पिक ढंग का इस्तेमाल जरूर ही बुनियादी निगरानी ढांचे को सशक्त करने में मदद करेगा। एनसीएपी के पहले फेज की तक्ष समय सीमा समिप आने के वजह से एनसीएपी 2.0 वायु प्रदूषण प्रबंधन प्रोग्राम को आगे बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए जिससे बिहार में 20-40 हजार नौकरियों के सृजित होने की उम्मीद है।