बिहार के मुजफ्फरपुर के सुप्रसिद्ध लीची की इस वर्ष मौसम अनुकूल होने के चलते जबरदस्त पैदावार हुई है। इस साल डिमांड भी काफी हो रहा है। जिले के लीची कारोबारी कह रहे हैं कि इस साल पल्प की डिमांड काफी बढ़ी है। देश के बड़े बड़े शहरों से लेकर दूसरे देशों से आर्डर आ रहा है। मुजफ्फरपुर के एसडी पांडेय (निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र) ने बताया कि जिले में कई प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया है, उस वक्त से बी ग्रेड वाली लीची की मांग काफी बढ़ी है।
पांडेय ने बताया कि पूर्व में केवल अच्छी और बेहतर लीची की डिमांड होती थी, जिसके वजह से बी ग्रेड वाली लीची नहीं बिक पाती थी। अब पल्प बनाने के लिए इसकी डिमांड हो रही है। पल्प के उत्पादकों के द्वारा देश और विदेशों से ऑर्डर आ रहा है। प्रोफेसर एसके सिंह का कहना है कि लीची का बीज और छिलका हटा दिया जाता है। ऐसे तो काफी कम दिनों का फल है लेकिन लिचमिस, पल्प कई दिनों तक ठहरते हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरपुर जिले में लगभग 9 से 10 छोटा बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट है। इस वर्ष लगभग 30,000 टन बी ग्रेड लीची आने की संभावना है। पिछले वर्ष लगभग 10 से 12 हजार टन बी ग्रेड लीची प्रोसेसिंग प्लांट पहुंचा था। किसान कहते हैं कि बी ग्रेड लीची किसान पहले बर्बाद कर देते थे। लीची की कीमत आधा से कम में भी बी ग्रेड की लीची बेची जाती थी। किंतु पल्प की कीमत बढ़ने से इसकी अच्छी खासी कीमत किसानों को मिल रही है। बता दें कि पल्प का इस्तेमाल कई जगहों पर शराब बनाने में किया जाता है। जूस और स्क्वायस बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।