बिहार में लाल ईंट के प्रतिबंध पर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। बिहार सरकार चरणबद्ध तरीके से राज्य में लाल ईंट प्रतिबंध पर रणनीति बना रही है। बता दें कि राज्य में 6000 से ज्यादा ईट भट्ठों में लाल ईंट बनाए जा रहे हैं। लगभग दो से तीन लाख लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। उनका रोजगार प्रभावित नहीं हो और केंद्र सरकार के द्वारा सुझाई गई फ्लाई ऐश ईंट को इस्तेमाल लाया जाए। राज्य सरकार में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार बबलू ने भागलपुर सर्किट हाउस में सोमवार के दिन विभागीय बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए ये बातें कहीं।
मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि बिहार में फ्री में फ्लाई एश फैक्ट्री निर्माता को मिलेगा। सभी पावर थर्मल से यह मिलेगा। भागलपुर में एनटीपीसी से फ्री में मिल रहा है। फैक्ट्री मालिकों को एनटीपीसी से अपने वाहनों से लेकर जाना पड़ेगा। सबसे अहम बात यह है कि बिना लाइसेंस के ही कोई भी व्यक्ति फ्लाई ऐश की फैक्ट्री खोल सकता है।
मंत्री ने कहा कि प्रदूषण की समस्या से पार पाने के लिए केंद्र सरकार ने लाल ईंट पर प्रतिबंध लगा दी है। इस आदेश को बिहार में जल्द ही धरातल पर लागू करना संभव नहीं है। क्योंकि कुछेक फ्लाई ऐश की फैक्ट्रियां ही राज्य में हैं। लगभग 700 फ्लाई ऐश की फैक्ट्री राज्य में हैं। ऐसे में लाल ईंट के 6 हजार भट्ठे की खपत का तुरंत समाधान नहीं निकल पाएगा। इसलिए सरकार चरणवार तरीके से इसे बंद करने की योजना पर काम कर रहा है।
जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक भट्ठों की संख्या तय की जाएगी। लाल ईंट वाले भट्टी फ्लाई एश बनाने में बदलते हैं तो उन्हें भी मदद किया जाएगा। बता दें कि फ्लाई ऐश ईंट से लाल की अपेक्षा अधिक रोजगार मिलेगा। लाल जैसी ही फ्लाई ऐश की मजबूती है। इससे बने भवन की लागत करीब 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है। सीमेंट, बालू और पानी की खपत भी कम होती है। दीवार की फिनिशिंग लाल के अपेक्षाकृत बेहतर होता है।