बिहार में एक दशक से ज्यादा समय से लाइब्रेरियन की बहाली नहीं हुई है। बहाली के लिए पूछे जाने पर सरकार सिर्फ और सिर्फ आश्वासन दे रही है। अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि कितने पद सृजित किए जाएंगे। किस प्रक्रिया से नियुक्ति होगी, यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है। सरकार ने इसकी गणना भी नहीं की है। सदन में लाइब्रेरियन बहाली के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि प्रवेश परीक्षा के आधार पर लाइब्रेरियन की बहाली होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए नियमावली बनकर तैयार है। उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए अभी तक 893 पदों को सृजित किया गया है। इसके साथ ही बाकी रिक्तियों को देखा जा रहा है।
अधिकारियों की मानें, तो लाइब्रेरियन की बहाली के लिए नियमावली तैयार की जा रही है। आलम यह है कि शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी बीते एक साल पहले सदन में तीन से चार बार लाइब्रेरियन बहाली को लेकर तमाम दलीलें दे चुके हैं लेकिन हुआ कुछ नहीं है। शिक्षा विभाग यह भी तय नहीं कर सका है की बहाली एक हजार होनी है या दो हजार। बहाली को लेकर अभ्यर्थियों कई बार आंदोलन भी किए, कई लोगों को कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाना पड़ा।
बता दें कि राज्य के मिडिल स्कूलों को सरकार ने अपग्रेड करके माध्यमिक में बदल दिया है। माध्यमिक विद्यालयों को अपग्रेड कर प्लस टू में डाल दिया गया है। शिक्षकों की बहाली तो लगातार हो रही है लेकिन लाइब्रेरियन की बहाली नहीं हो रही है। स्कूलों में पुस्तकालय के लिए किताबें खरीदी जा रही है, पर इनकी देखरेख करने वालों की बहाली में सरकार लापरवाही बरत रही है।
ऑल बिहार ट्रेंड लाइब्रेरियन एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास कुमार सिंह कहते हैं कि लगातार सरकार की ओर से आश्वासन ही मिल रहा है। बीते कई सालों से अभ्यर्थी चक्कर काट रहे हैं। कभी नियावाली बनाए जाने तो कभी पद सृजित किए जाने के नाम पर अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इस बार स्पष्ट तौर पर सरकार जवाब नहीं देती है तो पूरे राज्य में आंदोलन होगा।