बिहार की दोनों विद्युत आपूर्ति कंपनियां (नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन) ने 2026 के मार्च तक एवरेज बिजली यानी 20 प्रतिशत से कम करने का टारगेट फिक्स किया है। रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर योजना के तहत इस काम को पूरा करने के लिए आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने हेतु इन कंपनियों को टोटल 6625 करोड़ मिलेंगे।
कंपनियों को स्मार्ट मीटरिंग हेतु 1993 करोड़ तथा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी के लिए 400 करोड़ दिये जायेंगे। इसको लेकर दोनों विद्युत आपूर्ति कंपनियों एवं रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन के बीच सोमवार को एग्रीमेंट पर दस्तखत हुआ। इस अवसर पर बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के सीएमडी संजीव हंस, नॉर्थ बिहार के एमडी प्रभाकर, साउथ बिहार के एमडी महेंद्र कुमार और आरइसी के सीपीएम जोगीनाथ प्रधान उपस्थित रहे।
संजीव हंस (सीएमडी, पावर होल्डिंग कंपनी) ने कहा कि हम 2020-21 को बेस बना कर 2024-25 तक एवरेज बिजली हानि को कम कर पाएंगे। हमारा टारगेट नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के साल 2020-21 के एटीएंडसी लॉस 25.74 प्रतिशत को घटा कर साल 2025 तक 16 प्रतिशत और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के साल 2020-21 तक के 36.80 प्रतिशत लॉस को घटा कर 20 प्रतिशत लाना है। मुख्यालय लेवल पर इसकी निगरानी के लिए सलाहकार के नये पद का सृजन कर नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ कर दी गयी है।
उन्होंने कहा कि आरडीएसएस के अन्तर्गत आरइसी का दोनों कंपनियों से समझौते के बाद बिहार में आधारभूत संरचना के निर्माण में तीव्रता आयेगी। आरडीएसएस के तहत आधारभूत संरचना के बनाने हेतु नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 3100 करोड़ जबकि 3525 करोड़ रुपये साउथ बिहार को मिलेंगे। इसके अतिरिक्त स्मार्ट मीटरिंग हेतु 969 करोड़ नाॅर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को और 1024 करोड़ साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को मिलेंगे। वहीं आइटीओटी के लिए 400 करोड़ रका प्रावधान है। इसमें 60 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार और बाकी 40 प्रतिशत राज्य सरकार देगी।