बिहार को भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है। समय-समय पर बिहार में भी भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं। प्रदेश में भूकंप को लेकर खुद बिहार के मुखिया नीतीश कुमार चिंता व्यक्त करते रहते हैं। पिछले सालों में जब भी भूकंप ने दस्तक दी है, तब मुख्यमंत्री नितीश खुद सड़कों पर जायजा लेते हुए दिखाई पड़ते हैं।
प्रदेश को भूकंप से राहत और बचाव के मकसद से राज्य की राजधानी पटना में नीतीश सरकार ने सीस्मिक रिसर्च सेंटर बनाया है। साइंस कॉलेज के कैंपस में तकरीबन एक साल से रिसर्च सेंटर की इमारत बनकर तैयार है। किंतु अभी तक इसे चालू नहीं किया जा सका है।
बता दें कि सीस्मिक रिसर्च सेंटर बनाने में 3 करोड़ 44 लाख 60 हजार रुपए की लागत आई है, इसे भवन निर्माण विभाग ने बनाया है। भवन निर्माण विभाग द्वारा सेंटर के भवन बनाने का काम निर्धारित समय में कर तो दिया गया किंतु एक साल से भवन ज्यों कि त्यों हैं। बिहार स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट इसे संचालित करने में अहम रोल अदा करेगा लेकिन इस सिस्मिक रिसर्च सेंटर को विभाग का कोई अता पता नहीं है।
आपदा प्रबंधन विभाग को ही भवन में उपकरण खरीदने से लेकर वैज्ञानिकों की नियुक्ति करने की जवाबदेही सौंपी गई है। ना तो रिसर्च सेंटर के लिए कोई उपकरण खरीदा गया है, ना ही वैज्ञानिकों के बहाली को लेकर कोई कवायद शुरू हुई है।
खास बात यह है कि यह राष्ट्रीय स्तर का सेंटर है और बिहार का एकमात्र सेंटर होगा जो भूकंप आने के 40 सेकंड पहले ही इसके बारे में सटीक जानकारी दे देगा। इसके अलावा बिहार के 10 जिलों में सब स्टेशन सेंटर इसके लिए बनाया जाना है, यहां से सेंट्रलाइज रिकॉर्डिंग की जाएगी।