बिहार में आगामी 8 वर्षों में राज्य को मिलने वाली टोटल बिजली का लगभग आधा हिस्सा हवा, पानी और सौर से मिलेगा। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक ग्रीन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रही है। ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा निर्धारित किए गए हैं आरपीओ के अनुसार बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने ग्रीन ऊर्जा के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी इसका ड्राफ्ट बनकर आयोग की वेबसाइट पर अपलोड हुआ है, जिसे आम जनों का सुझाव और आपत्तियां ली जा सके।
आयोग ने हवा, जल और सौर से बिजली प्राप्त करने के लिए अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किया है। आने वाली वित्तीय वर्ष तक कम से कम सौर ऊर्जा से 23.5 प्रतिशत बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। साल 2030 तक सौर से मिलने वाली बिजली की खपत लगभग डेढ़ गुणा ज्यादा बढ़ा कर 33.5 फीसद करनी होगी। बिजली कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि जल, और हवा के स्रोतों से मिलने वाली बिजली का 850 गुना तक बढ़ाना। प्रतिवर्ष बिजली कंपनियों को कमीशन को दो बार स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी और उन्हें सालाना तय किए गए लक्ष्य के मुकाबले कितनी बिजली मिली है इसकी जानकारी देनी होगी।
फिलहाल बिजली कंपनियों को टोटल सालाना विद्युत खपत का 17 फीसद ग्रीन एनर्जी से प्राप्त करना अनिवार्य है। मगर संसाधन नहीं होने के वजह से निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पा रही। आगे के लक्ष्यों के मुताबिक हर साल ग्रीन ऊर्जा के स्रोत को बढ़ाना होगा। न्यूनतम टोटल खपत का 2029-30 तक 43.33 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी से प्राप्त करना होगा।
बिहार में तकरीबन 1.78 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं, जिन पर 37331 मिलियन यूनिट बिजली खपत हो रही है। इन उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी कर 2024-25 तक 1.90 करोड़ तथा बिजली खपत 45.5 मिलियन यूनिट होने की आशंका है। इसके मुताबिक बिहार में आगामी तीन सालों में 11.76 लाख से अधिक नये बिजली उपभोक्ता होंगे। फिर बिजली खपत 8213 मिलियन यूनिट बढ़ जाएगी।
विनियामक आयोग ने ग्रीन एनर्जी का टारगेट नियमों के साथ निर्धारित किया है। इसके मुताबिक विंड पावर के नये लक्ष्य में केवल पवन ऊर्जा से संबंधित वैसे परियोजनाओं को शामिल किया जायेगा, जिसकी कमिशनिंग 31 मार्च 2022 के बाद हुई हो। इसी तरह, जल स्रोतों में केवल उन्हीं हाइड्रोलिक परियोजना से उत्पादित बिजली को शामिल किया जायेगा, जिनकी कमिशनिंग आठ मार्च 2019 के बाद हुई हो।