बिहार की नदियों से बालू खनन पर फिलहाल पूरी तरह रोक लगा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में एक जून से ही खनन पर पूरी तरह रोक है। इसके पूर्व 28 जिलों की जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई है। न्यायालय से परमिशन मिलते ही सितंबर के मध्य से बालू खनन के लिए बंदोबस्ती की प्रक्रिया स्टार्ट हो जाएगी। बता दें कि 2019 की बालू नीति के तहत अक्टूबर से नदियों से बालू खनन शुरू होगा। नीति में निर्धारित मापदंड के अनुसार एक ठेकेदार को ज्यादा से ज्यादा 200 हेक्टेयर एरिया में खनन का टेंडर मिलेगा।
पहले 2013 की नीति के मुताबिक किसी भी नदी को एक इकाई मानकर उसका टेंडर निकाला जाता था। एक इकाई दो से ज्यादा जिलों की बंदोबस्ती के लिए मान होता था। अब नए नीति में निर्धारित मापदंड के मुताबिक बालू के ठेके दिए जाएंगे। नई व्यवस्था के अनुसार हरेक नदी को विभिन्न इकाई मानकर इसका बंदोबस्त होगा, जिससे कोई भी व्यक्ति, सोसायटी, सहकारी संस्था और निबंधित कंपनी खनन का पट्टा ले सके। पट्टाधारी को खनन हेतु दो बालूखंड या 200 हेक्टेयर से ज्यादा का क्षेत्र मिलेगा।
सूत्रों के मुताबिक, सभी 28 जिलों में अक्टूबर महीने से बालू खनन शुरू हो इसके लिए विभाग लगातार कवायद में जुटा हुआ है। खनन से संबंधित दो प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल ने स्वीकृति प्राप्त कर ली है। एक तरफ जहां बालू बंदोबस्त फेस में 50 फीसद का इजाफा हुआ है, वहीं पर्यावरणीय मंजूरी एवं वैधानिक अनापत्ति सफल बंदोबस्तधारी को ही प्राप्त करना होगा। सरकार के स्तर पर पहले यह काम होता था। संवेदको के लिए सिक्योरिटी फीस 10 फीसद से बढ़ाकर 25 फीसद किया गया है। उम्मीद है कि सितंबर माता का निविदा निष्पादन का काम प्रारंभ होगा।