बिहार के सरकारी अस्पतालों में बच्चों के इलाज की व्यवस्था को और बेहतर करने के मकसद से कवायद शुरू हो गई है। शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए सरकार सरकारी अस्पतालों में अस्थायी पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) का निर्माण करेगी। इसके लिए राज्य के 28 जिलों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। इनमें से 22 जिला अस्पताल में 42 बेड और 6 जिला अस्पताल में 32 बेड की क्षमता की पीकू में होगी।
इसके बाद सूबे के सरकारी अस्पतालों के पीकू में 1118 बेड की वृद्धि हो जाएगी। इसके निर्माण पर लगभग 78.66 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। निर्माण का जिम्मा बिहार स्वास्थ्य सेवा एवं आधारभूत कॉरपोरेशन को दिया गया है। निर्माण की प्रक्रिया शुरू भी हो गई है। बीएमएसआईसीएल से मिली जानकारी के मुताबिक, 42 बेड के एक पीकू के निर्माण पर तकरीबन 2.88 करोड़ जबकि 32 बेड बनाने पर 2.55 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस वर्ष के मई तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
गंभीर रूप से बीमार शिशु के इलाज को सूबे के सरकारी अस्पतालों में बनेंगे अस्थायी पीकू वार्ड pic.twitter.com/xPWN6trU0l
— Mangal Pandey (@mangalpandeybjp) March 21, 2022
बता दें कि कोविड जैसे विपरीत परिस्थितियों में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल चुकी है। अब सरकार की कोशिश है कि नवजातों के इलाज की बेहतर व्यवस्था हो। इसी को देखते हुए सरकार ने राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जिला अस्पताल में पीकू का निर्माण करने का फैसला लिया है। जिन 28 जिलों में इसका निर्माण हो रहा है, उनमें।
भोजपुर, बक्सर, मोतिहारी, गोपालगंज, जमुई, सारण, सीतामढ़ी, सीवान, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, जहानाबाद, कैमूर, कटिहार, समस्तीपुर, मधुबनी, नवादा, रोहतास, अररिया, औरंगाबाद, बांका और वैशाली में 42 बेड के पीकू वह सुपौल, बेगूसराय, अरवल, शेखपुरा, शिवहर, मुंगेर में 32 बेड के पीकू बनाने की कवायद शुरू हो गई है।