बिहार में ज्यादातर घटनाएं भूमि विवाद के चलते होती है, ऐसे में चकबंदी लागू करना सफल साबित हो सकता है। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बात को मानते हैं, कि राज्य में जमीनी विवाद के चलते अपराधिक घटनाएं ज्यादातर होती है। अब इसी से निजात दिलाने के लिए बिहार सरकार इस दिशा में काम कर रही है।
आईआईटी रुड़की से आई टीम ने भूमि सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। शीघ्र ही इसे लागू किया जाएगा। चकबंदी के तहत अलग-अलग जमीनों को एक जगह किया जाएगा, जिससे किसानों का भी फायदा होगा। वहीं भूमि विवाद से होने वाली अपराधिक घटनाओं में भी कमी आएगी। बिहार में भूमि विवाद एक बहुत बड़ी समस्या है, जमीनी विवाद के चलते राज्य में रोजाना वाद- विवाद और अपराधिक घटनाएं घटित होती रहती है। जिसके चलते राज्य सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चकबंदी नियम लागू करने की तैयारी कर ली है। इसके तहत किसानों के जमीन का अलग-अलग टुकड़ों को एक जगह भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा।
बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा है, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की की 5 सदस्य टीम ने आकर भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है। बिहार में चकबंदी कानून साल 1956 में बना, साल 1958 में नियम बने और 1970-71 के बीच इस पर काम शुरू हुआ। इस दौरान राज्य के 16 जिले और 180 अंचल में चकबंदी शुरू हुई तकरीबन 30 हजार गांवों में चकबंदी हुआ, लेकिन साल 1992 में स्थगित कर दिया गया।
अगर किसान के पास दस जगह जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े हैं, तो उसे एक जगह भूमिखंड के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। उसमें जगह और जमीन की कीमत को भी देखा जाएगा, सड़क पानी की व्यवस्था देखी जाएगी। पूरे काम को इलेक्ट्रॉनिक तकनीक से किया जा रहा है, ताकि किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो।