बिहार में विद्युत का संकट निरंतर बना रहता है। व्यवस्था और आपूर्ति में सुधार दोनों लचर हालात में है। राज्य में आने वाले 4 सालों में प्रदेश की बिजली आपूर्ति व्यवस्था में तकनीकी, सुधार और व्यवसायिक क्षति कम करने के लिए बिजली कंपनियां 9000 करोड़ रुपए खर्च करेगी, जिसमें आधारभूत संरचनाओं पर 6625 करोड़ खर्च होंगे।
जबकि 1993 करोड़ खर्च कर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी के लिए टोटल 400 करोड़ खर्च किये जाएंगे। इस पैसे से आगामी दिनों में प्रदेश की जरूरतों के मुताबिक ग्रिड, पावर सब-स्टेशन, तार-पोल, फीडर और ट्रांसफॉर्मर लगेंगे।
रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत इस काम को पूरा करने हेतु प्रदेश की दोनों वितरण कंपनियों को यह पैसे मिलेगी। बीएसपीएचसीएल के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस की मौजूदगी में नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक प्रभाकर तथा साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक महेन्द्र कुमार के द्वारा रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ समझौता हुआ। आरईसी लिमिटेड के द्वारा सीपीएम जोगीनाथ प्रधान ने एग्रीमेंट पत्र पर दस्तखत किया।
इस दौरान आरईसी लिमिटेड बिजली कंपनी के सीएमडी संजीव हंस ने कहा कि ऊर्जा विभाग ने अपने तय टारगेट को समय से पूर्व पूरा किया है। आरईसी लिमिटेड से आरडीएसएस के अन्तर्गत दोनों कंपनियों के समझौते के बाद बिहार में आधारभूत संरचना के निर्माण में तीव्रता आएगी।
आरडीएसएस के तहत आधारभूत संरचना के निर्माण हेतु नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 3100 करोड़ जबकि साउथ बिहार कंपनी को 3525 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके अतिरिक्त स्मार्ट मीटरिंग हेतु साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 1024 करोड़ और 969 करोड़ रुपए नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को मिलेंगे। वहीं आईटीओटी हेतु 400 करोड़ का प्रवाधान किया गया है।