बिहार में आने वाले कुछ वर्षों तक राज्य में बालू घाटों की नीलामी में कोई बाधा नहीं आएगी। इस वजह से बालू के किल्लत की भी आशंका ना के बराबर है। इसके लिए नीतीश सरकार 84 मुख बालू घाटों के पर्यावरण स्वीकृति की अवधि विस्तार के कवायद में जुटी है। गत इधर अप्रैल को संपन्न बैठक में स्टेट इनवायरमेंटल एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी कुछ प्रावधानों के साथ इस पर अनुशंसा की है। पर्यावरण प्रभाव आकलन अथॉरिटी आगे इस पर स्वीकृति प्रदान करेगा।
पर्यावरण स्वीकृति के अवधि के विस्तार होने से कुछ वर्षों के लिए बालू नीलामी के घाटों में कोई बाधा नहीं होगी। वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या दूसरे न्यायालयों में पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन को लेकर आशंका कम होगी। बता दें कि फिलहाल बिहार में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बालू घाटों की नीलामी होती है। कोई बाधा नहीं उत्पन्न हो इसीलिए प्रदेश सरकार के अधिकारी नीलामी से पूर्व ही तमाम कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर लेना चाहते हैं। पर्यावरण मंजूरी की अवधि विस्तार में चयनित सभी 84 बालू घाट बिहार में बालू की बड़ी हिस्सा में आवश्यकता पूरा करते हैं।
बिहार के तीन बालू घाटों को पर्यावरण में अवधि में विस्तार मिला है उनमें पटना जिला के महुआर, देवदाहा, चकमिकी, आदमपुर, खिरोधारपुर, रानीपुर व अन्य शामिल है। अरवल का चपरा, खैरा, छपरा, मसदपुर, सोनभद्र,सोहसा, मगलापुर है। वैशाली का हटारो, हरौली समेत अन्य जिले के 84 बालू घाट शामिल हैं।