राज्य में बालू के अवैध खनन को लेकर सरकार अभी तक असफलत साबित हुई है। लेकिन राज्य सरकार ने इस पर काबू पाने के लिए नई बालू नीति को लागू करेगी, नई नीति के तहत छोटे व्यपारी भी बालू की ठेकेदारी ले सकेंगे संभावना जताई जा रही है कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस नीति के लागू होने से जहां बालू संकट भी दूर होगा, वहीं अवैध रूप से बालू खनन पर भी लगाम लग सकेगा।
आपको बता दें कि बिहार सरकार और प्रशासन ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। सूबे में हो रही बालू की उपलब्धता पर भी सवाल उठते रहे हैं, ऐसे में इस नीति को लागू करना जरूरी हो गया है। सरकार इससे निजात दिलाने के लिए नई बालू खनन नीति 2019 को लागू करने की पूरी तैयारी कर ली है।
बिहार में मकान और इमारतों के निर्माण में पीले बालू का इस्तेमाल होता है, जबकि उजले बालू भराई इत्यादि में इस्तेमाल किया जाता है। सूबे में नदियों से बालू निकालने के लिए पर्यारवण मंत्रालय का अनापत्ति प्रमाणपत्र होना जरूरी होता है। राज्य में सोन के बालू की सबसे ज्यादा डिमांड है। इसकी मांग पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से भी होती है।
इस नीति के लागू होने से जहां बालू के कीमतों में लगाम लगेगा, वहीं बालू माफिया और रंगदारों पर भी विराम लगेगा। बता दें कि इन सबों से निजात पाने के लिए ही राज्य सरकार ने 14 अगस्त 2019 को नई नियम बनाई थी, जिसे अब बहुत जल्द लागू किया जाएगा। छोटे कारोबार भी इसका पट्टा ले सकेंगे। लोगों के लिए रोजगार का अवसर भी प्रदान होगा।