बिहार के मधेपुरा स्थित रेल इंजन कारखाना में देश का पहला शक्तिशाली स्वदेशी रेल इंजन तैयार किया गया है.WAH12 नाम से बनाए गए इस इलेक्ट्रिक रेल इंजन की क्षमता 12000 हॉर्स पावर है. यह इंजन शक्तिशाली होने के साथ-साथ अत्याधुनिक आईजीबीटी तकनीक पर आधारित 3-फेज ड्राइव भी है. इस इंजन की पहचान संख्या 60027 रखी गई है.
भारतीय रेलवे के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 180 टन वजनी यह इंजन पूरी तरह से स्वदेशी है, यह 100 किलोमीटर प्रति घंटा से 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने में सक्षम है इस इंजन की लंबाई 35 मीटर है. यह इंजन 5400 लोड बिना बैंकर लगाए खींचने में सक्षम है. वहीं, फुल लोड लेकर 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है.
122.5 टन के एक्सल लोड के ट्विन बो-बो डिजाइन वाले इस इलेक्ट्रिक रेल इंजन को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ 25 टन तक अपग्रेड किया जा सकता है. यह 12000 हॉर्स पावर वाला शक्तिशाली रेल इंजन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए कोयला रेलगाड़ियों की आवाजाही के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा. इसे आधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है इसमें लगे हुए सॉफ्टवेयर और एंटीना के माध्यम से इंजन पर जीपीएस के जरिए निगरानी रखी जा सकती है.
बिहार के मधेपुरा स्थित पर रेल कारखाना ने यह पहला रेल इंजन तैयार किया गया है. फिलहाल मधेपुरा के इस रेलवे कारखाने में इस तरह के 800 स्वदेशी इंजन तैयार करने पर काम किया जा रहा है. पहला इंजन ट्रायल पर है. यह जबलपुर से होते हुए भोपाल पहुंचा है जिसके बाद यह भोपाल से देश के अलग-अलग रेल मंडल में पहुंचेगा. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सुरेश प्रभु के रेल मंत्री रहते हुए इंजन को मेक इन इंडिया के तहत बनाने की नींव रखी गई थी, जो 2020 में साकार हुआ है.
इस इंजन की खासियत यह है कि इसमें दुर्घटना की आशंका ना के बराबर है. सामान्य तौर पर लोको केविन वातानुकूलित नहीं होते पर इस इंजन में लोको पायलट का कैबिन वातानुकूलित है. तेज गर्मी या अधिक ठंड की स्थिति में लोको पायलट को माल गाड़ियों के संचालन में खासी दिक्कत आती है. इसे ध्यान में रखते हुए इन इंजनों में लोको केविन को वातानुकूलित बनाया गया है.