बिहार में जमीन की खरीद और बिक्री के नियम में सरकार ने बड़ा बदलाव किया है। अब संपत्ति निबंधन के लिए माडल डीड उपयोग करने की बाध्यता खत्म कर दी गई है। दस्तावेज नवीस, अधिवक्ता यानू माडल डीड में कोई ऑप्शन चुना जा सकता है। एक सितंबर से पटना, मुजफ्फरपुर, दानापुर, गया, दरभंगा, भागलपुर और फुलवारीशरीफ में शत फीसद माडल डीड से निबंधन का आदेश पिछले 19 जुलाई को जारी हुआ था।
बता दें कि निबंधन महानिरीक्षक बी. कार्तिकेय धनजी ने 30 अगस्त को लेटर जारी कर पहले के आदेश को वापस लिया है। सौ प्रतिशत माडल डीड की अनिवार्यता का कागजात लेखक और अधिवक्ता जमकर विरोध कर रहे थे। सरकार के आदेश को उच्चतम में चुनौती दी गई थी। न्यायालय के आदेश पर निबंधन विभाग ने माडल डीड की अनिवार्यता से जुड़े हुए आदेश वापस ले लिया।
एक सितंबर से सिर्फ माडल डीड से निबंधन संबंधित विभाग के आदेश को अमल में लाने के पश्चात पटना जिले में लोगों को काफी प्रेरित किया गया है। परिणाम पटना जिला अवर निबंधन कार्यालय में लगभग 75 प्रतिशत, बाढ़ में 35, दानापुर में 50, मसौढ़ी में 30 प्रतिशत और बिक्रम में 30 प्रतिशत अधिक दस्तावेज अगस्त में माडल डीड से रजिस्टर्ड हुए हैं।
पटना जिला निबंधन कार्यालय में फ्री माडल डीड के लिए पांच काउंटर एवं कंप्यूटर-प्रिंटर के साथ कर्मी बहाल हैं। दानापुर में दो, बिक्रम, मसौढ़ी और बाढ़ में एक-एक बूथ पर माडल डीड उपलब्ध कराने की प्रबंध की गई है। फुलवारीशरीफ में जुलाई में 311, अगस्त में अभी तक 289 कागजात माडल डीड से निबंधित हुई है।
निबंधन दफ्तर में सहायता केंद्र पर अंग्रेजी और हिंदी में 33 तरह के माडल डीड उपलब्ध हैं। उर्दू में 29 डीड हैं। बिक्री पत्र, वसीयत, करार, गोदनामा, किरायानामा, ट्रस्ट सहित सभी तरह के कागजात मुफ्त ले सकते हैं। इस्तेमाल के लिए कार्यालय कर्मी सहयोग करेंगे। दस्तावेज नवीस को सरकारी तय मान्य शुल्क अदा नहीं करना होगा। 10 लाख से ज्यादा के विक्रय पत्र पर 2500 रुपये अधिकतम सरकारी शुल्क कागजात लेखक के लिए मान्य है। अन्य तमाम कागजात के लिए अलग-अलग शुल्क तय हैं।