बिहार में इन दिनों औद्दोगिक विकास के क्षेत्र में सरकार लगातार ठोस पहल कर रही है। बिहार में केंद्र सरकार मिनी फूड पार्क ओं का नेटवर्क स्थापित करने की कवायद में जुट गई है। केंद्र सरकार मखाना, लीची व केला पर आधारित उत्पादों को मिनी फूड पार्क का का नेटवर्क स्थापित करेगी। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने निर्देश दे दिया है। इसके साथ ही आलू और मक्का से मॉडर्न तकनीक के माध्यम से खाद उत्पाद तैयार करने वाले पौधों की श्रृंखला संभावना केंद्र खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय तलाशेगा। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार मिलने के लिए अलग से योजना तैयार की जाएगी।
केंद्र खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय सर्वेक्षण कर मुख्य फलों और फसलों के अलावा बाकी पैदावार के प्रसंस्करण की संभावना तलाशेगी। इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के एक्सपर्टो और शोध संस्था का मदद लेगी। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय राजधानी में क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित कर मिनी फूड पार्कों की श्रृंखला को संभव बनाएगी। राजधानी के ललित भवन के निकट सरकारी भवन को इसके लिए चयनित किया गया है।
करीब 400 करोड़ से विकसित हो रहे मोतीपुर मेगा फूड पार्क में उद्योग प्रतिनिधियों व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ औद्योगिक क्षेत्र के त्वरित विकास को लेकर भी विस्तृत चर्चा की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। स्थानीय विधायक श्री अरुण कुमार सिंह जी, कई जनप्रतिनिधि व अन्य मौजूद रहे। pic.twitter.com/qNqylPk3aF
— Syed Shahnawaz Hussain (@ShahnawazBJP) December 22, 2021
मिली जानकारी के मुताबिक नए साल के पहले सप्ताह 3 जनवरी को ही कार्यालय का उद्घाटन होना है। यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के एक्सपर्ट की एक टीम भी मौजूद रहेगी। यह टीम राज्य के विभिन्न इलाके के लिए वहां होने वाले कृषि ,वानिकी और उद्यानिकी की उत्पादों पर आधारित उद्योग के लिए मिनी फूड पार्क का स्वरूप तैयार करेगी। इसके साथ ही इससे जुड़ने वाले किसानों और उद्यमियों के लिए ट्रेनिंग का प्रोग्राम भी बनाया जाएगा।
किसानों की उनकी उपज की उचित कीमत मिले और उनके उत्पाद को सही प्रोसेसिंग कर बाजार तक उपलब्ध कराया जा सके। इसी मकसद से भारत सरकार ने साल 2009 में पूरे देश भर में 42 मेगा फूड पार्क स्थापना को लेकर योजना शुरू की थी। देश में मौजूदा समय में 22 मेगा फूड पार्क संचालित हो रहे हैं।
बिहार में मिनी फूड पार्क स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार राज्य को 10 करोड़ से लेकर 50 करोड़ तक सब्सिडी दे सकती है। मुआयना के जरिए खास इलाकों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कच्चा माल के उत्पादन सुधार कर अच्छी गुणवत्ता के स्तर तक ले जाना और उन्हें कोल्ड चैन नेटवर्क के माध्यम से सुरक्षित रख प्रसंस्करण केंद्रों तक ले जाने का आधारभूत संरचना तैयार करना है।