बिहार में 13 हजार किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी। एजेंसियों के द्वारा कब-कब सड़कों की मरम्मत हुई और इंजीनियरों ने कब-कब उसका मुआयना किया, ऑनलाइन ही यह पूरा रिकॉर्ड होगा। सड़क मरम्मत में आ रही लापरवाही की शिकायत के बाद पथ निर्माण विभाग ने यह फैसला लिया है। दीर्घकालीन निष्पादन और उपलब्धि आधारित पथ आस्तियों अनुरक्षण संविदा नीति के तहत सड़कों की मरम्मत हो रही है।
बता दें कि ओपीआरएमसी मॉडल लागू है। साल 2026 तक इसके तहत सड़कों की मरम्मत की जिम्मेदारी एजेंसियों को मिल चुका है। लेकिन विभाग को जब ना तब सड़क मरम्मत में लापरवाही की शिकायत आती रहती है। समय पर सड़कों की मरम्मत नहीं होने की वजह से लोगों को टूटी-फूटी सड़कों पर चलना पड़ता है। एजेंसियों की मनमानी किसे कहा है तो अक्सर विधायकों के द्वारा विभाग को मिलती रहती है।
एजेंसियों की निगरानी का जिम्मा इंजीनियरों को सौंपा जाता है लेकिन इंजीनियर भी इस काम में निष्क्रिय हो जा रहे हैं। कई बार तो ऐसा होता है इंजीनियर सड़क दुरुस्त होने की जानकारी विभाग को भेजते हैं लेकिन जब मुख्यालय स्तर से जांच होता है, तो सड़कों की स्थिति दयनीय पाई जाती है। यही वजह रहा है कि अब तक कई एजेंसियों के साथ ही दोषी इंजीनियरों के विरुद्ध शिकंजा कसा जा चुका है। आप मौके से इंजीनियरों को ऑनलाइन रिपोर्ट भेजनी होगी।
आने वाले दिनों में सड़कों की स्थिति ऐसी नहीं हो, इसके लिए विभाग ने हर परिस्थिति में सड़कों को बेहतर रखने का फैसला लिया है। जल्द ही कमांड एंड कंट्रोल रूम से सड़कों को जोड़ने की योजना शुरू हो जाएगी। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कौन सी सड़क की मरम्मत कब हुई है। इस प्रणाली से इंजीनियरों को भी निगरानी की जा सकेगी। किस सड़क को कितनी बार कौन इंजीनियर अवलोकन कर रहा है, यह जानकारी भी विभाग को प्राप्त होगी।
विभाग की योजना है कि सिस्टम से बिहार में मरम्मत हो रही 13 हजार किलोमीटर सड़कों को बेहतर रखा जाए। बता दें कि सात वर्षों के लिए 13063.26 किमी सड़कों की मरम्मत मद में 6654.27 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। इसमें कोई गड़बड़ झाला होता है, तो उसे दुरुस्त करने की जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी को दी गई है। सड़कों की बेहतर मरम्मत नहीं होने पर एजेंसी की राशि भी काट ली जाएगी।
प्रावधान यह है कि अगर एक महीने में दो शिकायत मिली है और निर्धारित समय में उसे दुरुस्त नहीं किया जाता है, तो राशि दो बार काट ली जाएगी। गंभीर गलतियों पर कटौती का प्रतिशत 40 पर्सेंट तक है। सड़कों की मरम्मत हो रही है या नहीं, चार स्तर पर इसकी जांच की जानी है। स्थानीय इंजीनियरों के साथ-साथ मुख्यालय, अंचल स्तर व उड़नदस्ता टीम को भी औचक निरीक्षण करना है।