हम बिहार में ऑनलाइन ही पुलों की स्थिति के बारे में मॉनिटरिंग की कवायद है। नई तकनीक से पुल की मौजूदा स्थिति की जानकारी ऑनलाइन ही स्क्रीन पर उपलब्ध होगी कि पुल का पाया कहां से टूट रहा है, किस तरह की दिक्कत सुपरहिट एक्शन में आ रही है और कब तक रेलिंग चलेगा। राज्य सरकार के पथ निर्माण मामले के मंत्री नितिन नवीन ने कहा है कि जल्दी मुख्यालय स्तर से यह सब कुछ देख पाना संभव होगा।
पुलों की सेहत पर निगरानी रखने के लिए तैयार की जा रही ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी और कई वर्षों से काम चल रहा था। ऐसे में संभावना है कि अगले महीने अगस्त में यह नीति आ जाएगी। इस पॉलिसी में ऐसी व्यवस्था की गई है कि पुलों की मौजूदा स्थिति के बारे में मुख्यालय में बने नियंत्रण रूम के स्क्रीन पर दिखेगा। आईटी आधारित प्रणाली से पुलों का रियल टाइम मॉनिटरिंग होगा। इससे मिले आंकड़े को एकत्रित करने की सुविधा भी होगी। इसके विश्लेषण से यह मालूम हो सकेगा कि पुल के पिलर में किस तरह की दिक्कत आ गई है और सुपरस्ट्रक्चर को किस प्रकार की बीमारी है।
पथ निर्माण विभाग से मिली आधिकारिक सूचना के अनुसार अगले माह जो ब्रिज मेंटेनेंस नीति पहचान में आ रही है उसमें छोटे पुलों को नहीं शामिल किया गया है। पथ निर्माण विभाग छोटे पुलों के रखरखाव का काम खुद ही करेगा, जबकि बड़े पुलों को पैकेज का रूप देकर उसके रखरखाव का जिम्मा निर्माण एजेंसियों को दिया जाएगा।
इस योजना पर फिलहाल काम चल रहा है कि किस तरह से पुलों का व्यवसायिक इस्तेमाल किया जाए और उसे राजस्व कमाया जाए। होर्डिंग और दूसरे प्रचार व्यवस्था पुलों पर किस नीति के तहत सुनियोजित तरीके से काम किया जाए। नई नीति में पुल के ऊपर एवं नीचे की जगह के कमर्शियल इस्तेमाल की कवायद है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सभी बड़े पुलों का इन्वेंटरी बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने तैयार कर लिया है। मेंटेनेंस पर दिए जाने के तुरंत बाद इसकी मरम्मत होनी है।