बिहार में आवास योजना के तहत पहले इंदिरा आवास स्कीम के लाभार्थियों को योजना का लाभ दिलाने का वादा पूरा नहीं होने या फिर अधूरे मकान को पूरा करने का लाभार्थियों का सपना साकार होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास सहायता स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत ऐसे लाभार्थियों को 50 हजार रुपए की राशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
बता दें कि ग्रामीण इलाकों में लोगों को घर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के मकसद से 01 जनवरी 1996 को इंदिरा आवास योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी जी रहे योग्य परिवार को मकान की सुविधा के लिए आर्थिक राशि उपलब्ध कराई जाती थी। इसके तहत लाभार्थियों को 35 हजार रुपए या फिर इससे कम राशि मिलती थी। हाल ही में प्रदेश सरकार ने कहा है कि दी जाने वाली राशि से घर का निर्माण पूरा नहीं हो रहा है जिस वजह से बड़ी संख्या में लोगों का मकान बनाने का सपना अधर में लटका है।
मालूम हो कि इंदिरा आवास या कोई भी आवास योजना के तहत लाभुकों को दोबारा आवास स्कीम का लाभ दिए जाने का नियम नहीं है। जिसके वजह से साल 2016-17 में इंदिरा आवास को पुनर्गठित कर शुरू किए गए प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। इसके तहत लाभार्थियों को टोटल मिलाकर लगभग 1 लाख 20 हजार रुपए देने का प्रावधान है। इंदिरा आवास योजना का लाभ उठा चुके लाभार्थियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलेगा। जिसके वजह से वे प्रदेश सरकार ने अधूरे इंदिरा आवास को पूरा करने के लिए यह फैसला लिया है।
सरकार के फैसले के अनुसार मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास सहायता स्कीम का लाभ केवल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा। इसमें ऐसे लाभार्थियों को शामिल किया जा सकता है, जो इंदिरा आवास योजना के तहत 1 अप्रैल 2010 के पहले आवास की मंजूरी दी गई है। साथ ही लाभार्थियों के द्वारा लिंटल स्तर तक काम पूरा कर लिया गया हो। इसमें लाभार्थी या फिर उसकी पत्नी का जिंदा रहना जरूरी है।
बता दें कि इस योजना के तहत उन लाभुकों को लाभ नहीं मिलेगा, जिनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी कर्मचारी हो, टैक्स रिटर्न भरता हो, प्रति महीने की इनकम 10,000 रुपए से अधिक हो। ऐसे लाभार्थियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा, जो आवाज से जुड़े हुए मुख्यमंत्री जीर्णोद्धार या फिर दूसरे योजना का फायदा ले चुके हैं।