अतिक्रमणकारियों पर सरकार इन दिनों नकेल कसने के मूड में है। अधिकारियों को साफ तौर पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने निर्देश दिया है कि लोक भूमि पर कब्जा कर रहे जिद्दी अतिक्रमणकारियों को सीधे जेल भेजें। अतिक्रमण मुक्त होने के बाद जमीन पर पुनः कब्जा होने के शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए विभाग ने यह आदेश दिया है। अधिनियम में संशोधन के बाद बिहार लोक भूमि अतिक्रमण ने अतिक्रमणकारियों को अधिकतम एक साल की सजा देने का नियम बनाया है। 2012 में इसका संसोसधन हुआ था। इससे पूर्व सिर्फ जुर्माना का प्रावधान था।
इस संबंध में अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने प्रमंडलीय आयुक्त एवं डीएम को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि लोक भूमि पर कब्जा किए अतिक्रमण को मुक्त कराएं। अगर अतिक्रमणकारी नहीं मानते हैं तो बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम में संशोधित किए गए दंड के प्रावधानों का इस्तेमाल करें। विभाग का यह आदेश गैर-मजरूआ आम, खास, कैसरे हिन्द, खास महाल, सरकारी विभागों के मालिकाना वाली भूमि के साथ ही सार्वजनिक जल निकायों को अतिक्रमण मुक्त किए जाने के संबंध में है।
बता दें कि पटना उच्च न्यायालय ने रामपुनीत चौधरी बनाम राज्य सरकार मामले में सार्वजनिक जल निकायों को 2015 में ही अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया था। अभियान चलने के बावजूद भी निकाय पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पाया। विभाग द्वारा की गई पिछली समीक्षा बैठक में जल निकायों पर अतिक्रमण की वर्तमान स्थिति पर अधिकारीयों ने नाराजगी जाहिर की थी। अपर मुख्य सचिव के अनुसार कुछ जिलों की उपलब्धि अच्छी है। मगर, अधिकांश जिलों में अतिक्रमण मुक्ति का अभियान कारगर नहीं हुआ है।
अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई से पूर्व उसे नोटिस देने का नियम है। नोटिस जारी कर उसे भूमि छोड़ने के लिए कहा जाएगा। स्वेच्छा से अगर वो भूमि मुक्त नहीं करते हैं तो उसके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इसमें जुर्माना से जेल तक की सजा का प्रावधान है।