बिहार के 30 जिलों में रहने वाले लोगों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं। रोजमर्रा के जीवन में इस पानी के पीने से किडनी और लिवर से जुड़ी खतरनाक बीमारी होने का खतरा है। इसके बावजूद भी आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस पानी को इस्तेमाल कर रहा है। राज्य की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में ये बातें सामने आई है।
बिहार के जिन जिलों में लोग प्रदूषित पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, गया, जमुई, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, रोहतास शेखपुरा, समस्तीपुर, सारण, सीतामढ़ी, पटना, वैशाली, औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, नवादा और अररिया शामिल हैं। जिम्मेदार विभाग ने इन प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षित पेयजल के लिए पानी के गहरे बोरवेल खोदना शुरू कर दिया है।
बता दें कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHED) की रिपोर्ट में बिहार के पानी की क्वालिटी, आंतरिक मूल्यांकन और निष्कर्षों के बारे में जानकारी दी है। PHED के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि सरकार स्थिति की गंभीरता को समझ रही है। उनका कहना कि सरकार ‘एक पाइप जलापूर्ति’ योजना शुरू करने जा रही है। विभाग NABLअप्रूव्ड लैब खोलने पर मंथन कर रहा है। सूबे की सरकार ने ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ‘हर-घर-जल-नल-योजना’ भी शुरू की है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री ताराकिशोर प्रसाद ने हाल ही में सदन में राज्य की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 में में खुलासा हुआ है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदूषित भूजल के इस्तेमाल से लोगों को गंभीर बीमारी हो सकती है। रिपोर्ट में यह कहा गया कि बिहार के 38 में से 31 जिलों के ग्रामीण क्षेत्र के लोग प्रदूषित पानी उपयोग कर रहे हैं। पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह तत्व की मात्रा ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 जिले के 30.27 हजार वार्डों का भूजल प्रदूषित है।