बिहार में पुरानी या दुर्घटनाग्रस्त गाड़ियों को कबाड़ में नष्ट करने की कवायद शुरू हो गई है। परिवहन विभाग ने इसके लिए गाड़ियों को नष्ट करने हेतु स्क्रैप सेंटर खोलने की परमिशन लेना शुरू कर दिया है। राज्य के 15 जिले में 20 स्क्रैप सेंटर खोलने की इजाजत विभाग ने दे दी है।
विभाग में सबसे ज्यादा पटना में पांच स्क्रैप सेंटर खोलने की परमिशन दी है। जबकि वैशाली में तीन स्क्रैप सेंटर खोलने की परमिशन मिली है। वहीं बाकी 12 जिले में एक-एक आवेदकों ने कबाड़ सेंटर खोलने के लिए आवेदन दिया था। जिसकी स्वीकृति मिल गयी है। इसमें समस्तीपुर, भागलपुर, सीवान, दरभंगा, लखीसराय, नालंदा, पूर्णिया, गोपालगंज, बांका, कटिहार, मधेपुरा, मधुबनी, सहरसा शामिल है।
गाइडलाइन के अनुसार कोई भी निजी रूप में या फर्मष सोसायटी और ट्रस्ट के माध्यम से गाड़ी कबाड़ सेंटर खोल सकता है। इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से परमिशन लेनी होगी। बोर्ड की टीम सेंटर का निरीक्षण करेगी और तमाम मानकों पर खरा उतरने के बाद लाइसेंस जारी करेगी। सेंटर खोलने के लिए आस्था यह अकाउंट नंबर और जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। सेंटर के यार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे।
बता दें की वैसी सभी गाड़ियां कबाड़ में नष्ट हो सकेगी जिसे गाड़ी मालिक खुद नष्ट करवाना चाहता हो। वाहनों को तब तक नष्ट नहीं किया जाएगा, जब तक उसका एंट्रीफ्रीज, तेल, ईंधन और अन्य गैस तरल पदार्थों को निकालना लिया जाए। जितनी कीमत की गाड़ियां नष्ट होगी, उसी कैटेगरी की गाड़ी खरीदने पर सरकार के द्वारा टैक्स में छूट का लाभ दिया जाएगा।
विभागीय योजना के मुताबिक निबंधित कबाड़ केंद्रों पर गाड़ियों को नष्ट कराने से पूर्व इसकी जांच होगी। वास्तव में वाहन का मालिक सही है या नहीं। इसके लिए आधार कार्ड, ऑनर बुक से लेकर परिवहन विभाग के अफसरों का सहयोग लिया जाएगा। रिकार्ड की जांच राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ स्थानीय पुलिस के द्वारा चोरी होने वाले गाड़ियों की रिकाॅर्ड से मिलान किया जायेगा। जो गाड़ियों कबाड़ केंद्रों में नष्ट होगी, उसका रिकॉर्ड कम से कम छह महीने तक सुरक्षित रहेगा।