बिहार के सरकारी कर्मियों के लिए गुड न्यूज़ है। नीतीश सरकार सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 62 करने पर मंथन कर सकती है। गुरुवार को सदन में केदारनाथ पांडेय के पूछे गए सवाल पर कार्यवाहक सभापति अवधेश नारायण सिंह ने जवाब दिया कि सरकार को समरूपता लाते हुए इस पर गंभीरतापूर्वक विमर्श करना चाहिए। इसके बाद उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि वेतन मद और पेंशन मद में खर्च होने वाली राशि का तुलनात्मक अध्ययन कर सरकार इस बिंदु पर ध्यान देगी।
बता दें कि गुरुवार को सदन में केदारनाथ पांडे ने तारांकित सवाल किया था कि राज्य के कर्मियों की 60 सालों की सेवा करने के बाद सेवांत लाभ के रूप में हर वर्ष करोड़ों रुपये का व्यय भार वहन करना पड़ता है। वहीं, तेलंगाना, केरल, आंध्र प्रदेश एवं मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 62 साल है।
क्या सरकार भी इस तरह का विचार रखती है? इस मामले पर उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि ऐसा मामला विचाराधीन नहीं है। लेकिन सभापति के गंभीरता पूर्वक विचार करने की बात कहे जाने पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस पर गौर फरमाएगी।
विधानसभा में केदारनाथ पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ने के वजह से राज्यकर्मियों की उम्र और कार्यक्षमता दोनों में वृद्धि हुई है। सीएम नीतीश भी यह बात कह चुके हैं। ऐसे में सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ जाने से सेवांत लाभ कोष की बड़ी राशि अन्य विकास के कामों पर खर्च हो सकेगी। सेवांत लाभ में हर वर्ष 150-200 करोड़ की राशि बढ़ रही है। साल 2018-19 में सेवांत लाभ मद 1,602 करोड़ था, जो अगले ही साल यानी 2019-20 में बढ़कर 1,711 और साल 2020-21 में बढ़कर 1,963 करोड़ तक हो गया है।