बदलते दौर में खेती के प्रति लोगों का रुझान कम हो रहा है और लोग शहर की ओर पलायन कर रहे हैं। दूसरी और कई ऐसे किसान भी है जिन्होंने खेती के दम पर अपनी नई पहचान बनाई है। बांका जिले के प्रदीप कुमार गुप्ता पिछले 35 सालों से खेती कर इलाके में अपनी नई पहचान स्थापित कर चुके हैं और सालाना 18 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं। प्रदीप गुप्ता के फार्म हाउस में केला, नींबू, पपीता, आम, मक्का सहित अन्य फसलों की खेती होती है। 18 एकड़ जमीन में खेती कर रहे प्रदीप के यहां 35 लोग काम करते हैं।
प्रदीप गुप्ता अपने पंचायत से दो बार मुखिया रह चुके हैं और उनकी पत्नी आशा देवी दो बार मुखिया पद पर रह चुकी है। 20 वर्ष राजनीति में सक्रिय रहने के बावजूद भी उन्होंने खेती से मुंह नहीं मोड़ा। उन्होंने कठिन परिश्रम के दम पर खेती में अपनी नई पहचान बनाई है। वे साल 1988 से 18 एकड़ जमीन फलों के साथ दूसरे फसल की भी खेती कर रहे हैं। उन्हें कई बार घाटे का सौदा भी करना पड़ा है।
प्रदीप गुप्ता के फार्म हाउस में आम के 500 पेड़, पपीता के 1000 पेड़, तेजपत्ता, कटहल, नारियल, लीची, हींग, निंबू, शीशम, केला, मक्का, धान व गेहूं की खेती करते हैं। वे इसके अतिरिक्त गाय, मुर्गा और बकरी पालन करते हैं। प्रदीप गुप्ता के कमाई का एक और जरिया मधुमक्खी पालन भी है। खेती के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु बिहार सरकार में कई बार सम्मानित कर चुकी है। दूसरे किसानों को प्रदीप गाय पालन, बकरी व मुर्गा पालन के गुर सिखाते हैं।
प्रदीप बताते हैं कि सुबह से लेकर दोपहर तक वे अपने फार्म हाउस में रहते हैं। कई लोग उनके बगीचे देखने आते हैं तो उन्हें दिखाते हैं। सुबह के समय मॉर्निंग वॉक भी हो जाता है। शाम से लेकर 7 बजे तक अपना समय बगीचे में ही व्यतीत करते हैं। उन्होंने 35 लोगों को रोजगार दे रखा है। दर्जनों मजदूर रात के समय में काम करते हैं।