सोने की चमक किसको पसन्द नही! भारत के लोगों का सोने से लगाव पूरी दुनिया जानती है. निवेश हो या परंपरा भारत मे होने की महत्ता है, इसलिए भारतीय लोग जमकर सोने की खरीदारी करते है. देश मे खरीदे गये सोने का अधिकांश हिस्सा विदेशों से आयात किया जाता है. हालांकि हमारे देश में भी बड़ी मात्रा में सोने के भंडार मौजूद है.
भारत में कितना बड़ा है स्वर्ण अयस्क का भंडार
नेशनल मिनरल इन्वेंटरी के ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्राथमिक स्तर के स्वर्ण अयस्क का कुल अनुमानित भंडार 50.183 करोड़ टन बताया गया है. कुल भंडारण का 1.722 करोड़ टन को रिजर्व कैटेगरी में रखा गया था और बाकी के 48.4 करोड़ टन के भंडारण को शेष रिसोर्स कैटेगरी में रखा गया था.
कहां है सोने के सबसे बड़े भंडार
नेशनल मिनरल इन्वेंटरी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार देश में स्वर्ण अयस्क का सबसे बड़ा हिस्सा बिहार में है। रिजर्व कैटेगरी के अलावा स्वर्ण अयस्क की रिसोर्स कैटेगरी का करीब 44 प्रतिशत हिस्सा यानि लगभग 22.28 करोड़ टन भंडार बिहार में है. इसके बाद राजस्थान में 25%, कर्नाटक में 21%, पश्चिम बंगाल में 3%, आंध्र प्रदेश में 3%, झारखंड में 2% सोने का भंडार हैं. इसके अलावा अयस्क के शेष 2% रिसोर्स छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हिस्से में है.
लागत और जमीनी स्थितियों से तय होती है माइनिंग
बिहार में स्वर्ण एस के सबसे अधिक भंडार के बावजूद कम माइनिंग के पीछे ऊंची लागत से लेकर भंडार की भौगोलिक स्थिति आदि अहम रही हैं, बिहार में कई बड़े भंडार ऐसी जगह पर स्थिति है जहां भौगोलिक स्थिति और कानून व्यवस्था के चलते खोज का काम काफी मुश्किल है. खदानों से सोना निकालने का फैसला माइनिंग और सोना को शुद्ध रूप में लाने के लागत के आधार पर होता है. लागत अधिक होने के कारण मांग को पूरा करने के लिये आयात जैसे विकल्प अपनाया जाता है.
हालांकि सोना निकालने पर आने वाली लागत कम करने की कोशिश कर खनन किया जाता है. जिससे आपूर्ति के लिए आयात पर निर्भरता कम की जा सके. केंद्र सरकार ने हाल में ही सोने सहित अन्य खनिजों के लिए एमईएमसी नियमों में संशोधन किया है. इस संशोधन के बाद खनिजों की खोज और खनन के क्षेत्र में उन्नत तकनीक के साथ निजी कंपनियां के भागीदारी की संभावना बड़ी है. जिससे सोना निकालने पर लागत कम होने की संभावना है.