सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पद्म श्री सम्मान समारोह आयोजित हुआ। विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान देने के लिए देश की महान विभूतियों को इन सम्मान से नवाजा गया। सम्मानित करने के लिए जैसे ही दुलारी देवी का नाम पुकारा गया। हर कोई उन्हें ही टकटकी लगाए देख रहा था। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दुलारी देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया। बिहार के मिथिला से आने वाली दुलारी देवी का सफर मुश्किलों और संघर्षों से भरा रहा है। 12 साल की उम्र में शादी होने से लेकर पद्म श्री सम्मान मिले तक की कहानी बेहद प्रेरणीय है।
दुलारी देवी बिहार के मधुबनी के राठी गांव से आती हैं। लोग प्यार से उन्हें ‘दुला’ कहते हैं। दुलारी रांटी गांव की तीसरी महिला हैं जिन्हें पद्मश्री सम्मान मिला है। बिहार के मिथिला कला में सातवां पद्मश्री सम्मान है। दुलारी देवी कई मुश्किलों को पार कर इतनी बड़ी कामयाबी पाई है। दुलारी मछुआरा समुदाय से तालुकात रखती है। महज 12 साल की उम्र में जगदेव मुखिया से शादी हो गई थी। 6 महीने की अपनी बेटी को खोने के बाद ससुराल वालों के तानों से परेशान दुलारी दो साल में ही अपने मायके चली आई। यहां आकर उन्होंने मिथिला कलाकार महासुंदरी देवी के घर में कामकाज करने लगी जिसके बदले 6 रूपए मिलते थे।
काम करते हुए ही दुलारी मिथिला की कला सीखने लगी। धीरे-धीरे दुलारी भी मिथिला पेंटिंग बनाने में दक्ष हो गई। दुलारी अपनी कला से आस पास के जीवन को दर्शाती है। दुलारी देवी अभी तक 12,000 से ज्यादा मिथिला पेंटिंग बना चुकी है। कभी दूसरों के घरों में काम करने वाली दुलारी आज अपनी कला के दम पर महीने के 35 से 40 हजार रुपए कमाती है। बिहारी नहीं देश और विदेश के लोग भी इनके पेंटिंग की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।
अपनी कला से नई पटकथा लिखने वाली दुलारी देवी को जब केंद्र सरकार ने फोन कर इस बात की सूचना दी थी कि उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा तब वह बेहद खुश थी। सोमवार को राष्ट्रपति के हाथों दुलारी देवी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। इससे पहले भी दुलारी देवी को साल 1999 में ललित कला अकादमी की ओर से वर्ष 2012-13 में सरकार का प्रतिष्ठित राज्य पुरस्कार उद्योग विभाग द्वारा नवाजा गया था। दुलारी देवी लड़कियों और महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई है।