डॉ. रामनंदन सिंह बिहार के शेखपुरा जिले से आते हैं। रिम्स रांची से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद बीते तीन दशकों से भी ज्यादा से मामूली फीस पर लोगों का उपचार कर रहे हैं। उनके यहां आसपास के कई जिलों के मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं।
यूं तो डॉक्टरों को धरती का दूसरा ईश्वर माना जाता है लेकिन इस भरोसे को कुछ गिने-चुने डॉक्टर ही कायम रख पाते हैं। कहानी बिहार के ऐसे डॉक्टर की जो लोगों के विश्वास पर खरे उतर कर इलाज कर रहे हैं और लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं।
द बेटर इंडिया से बातचीत में 68 साल के डॉक्टर रामनंदन सिंह कहते हैं कि रिम्स रांची से 35 साल पहले एमबीबीएस करने के बाद अपने लोगों के बीच रहकर निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहा हूं। सेवा करने के उद्देश्य ही मैं गांव लौट आया।
डॉक्टर कहते हैं कि हम जिस क्षेत्र में रहते हैं वहां संसाधनों का घोर अभाव है। इसलिए मुझे लगा कि मेरी पढ़ाई लोगों के काम आ जाए। शुरुआत के दिनों में 5 रुपए फीस लेकर लोगों का इलाज करता था लेकिन दशकों बाद भी मेरी फीस 50 रुपए है।डॉक्टर रामनंदन सिंह बताते हैं कि इतनी फीस भी इसलिए लेते हैं कि क्योंकि 15 से 20 की संख्या में स्टाफ उनके यहां काम करते हैं। खेती कर रामनंदन सिंह अपने परिवार का खर्च वहन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मैं सभी बीमारियों का इलाज सामान्य रूप से करता हूं। गर्मी के दिनों में रोजाना 300 मरीज आते हैं जबकि सर्दी के दिनों में रोजाना डेढ़ सौ से ज्यादा मरीजों का इलाज करते हैं। सुबह 8 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक डॉक्टर मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं। कोई जरूरत पड़ने पर बिना शुल्क के लिए ही वह लोगों के लिए सेवा में उपलब्ध रहते हैं।
गांव की आबोहवा के कारण भी 68 साल की उम्र में भी डॉक्टर रामनंदन सिंह पूरी तरह फिट है। वह कहते हैं कि मैंने मरीजों को जो दिया वह मुझे अलग तरीके से रिटर्न मिल रहा है। यही वजह रहा है कि 68 साल की उम्र गुजर जाने के बाद भी मुझे शिकायत नहीं है और मैं बिना किसी परेशानी के लोगों की मदद में लगा रहता हूं।
ग्रामीण कहते हैं कि कई डॉक्टर तो मरीजों की बात सुनना भी पसंद नहीं करते हैं और इलाज करते हैं। लेकिन डॉक्टर रामनंदन सिंह ठीक इसके उलट है वह मरीजों की बातों को ध्यान से सुनते हैं फिर सलाह देकर उनका उचित उपचार करते हैं। कोरोना काल में भी बिना संक्रमण के डर से डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे थे।
बिहार ख़बर डॉ. रामनंदन सिंह के इस जज्बे को नमन करता है और हमें उम्मीद है कि उनकी इस कहानी से और भी लोग प्रेरणा लेंगे।