हर साल कोसी इलाके में बाढ़ के साथ ही सुखाड़ के चलते हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है। प्रत्येक खेत में पानी योजना के तहत इस साल जिले में 90 प्रतिशत सब्सिडी पर 130 खेतपोखरी निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक तालाब के निर्माण के लिए कृषि विभाग ने 46722 रूपये निर्धारित किया है। मतलब यह है कि मात्र 4600 रूपये में किसान के खेत में सिंचाई के लिए खुद तालाब होगा, जिसमे मछली पालन भी किया जा सकेगा।
जलसंचयन योजना के तहत खेत में एक एकड़ भूखंड के बीच तालाब का निर्माण होगा जिसकी लंबाई 20 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर व गहराई 2.5 मीटर होगा। अगर किसी किसान को एक एकड़ जमीन नहीं है, तो वे दूसरे किसान से सहयोग लेकर एक एकड़ भूखंड की सिंचाई के लिए इस योजना का फायदा उठा सकेंगे। संबंधित किसान को इस योजना में अपने खेत में तालाब निर्माण के लिए महज दस प्रतिशत ही खर्च करना होगा। बाकी राशि सरकार सब्सिडी के रूप में देगी।
जल संचयन के दृष्टिकोण से बनाए गए इस लघु खेत पोखरी से जहां खेती की सिंचाई होगी, वहीं इस तालाब में मत्स्य पालन हो सकेगा। खेत में पानी की स्थायी व्यवस्था रहने के वजह से किसान सब्जी, दलहन आदि की भी खेती कर सकेंगे। इस लघु तालाब में मछली पालन कर दोहरा फायदा उठा सकेंगे। इससे सिंचाई के बिना फसल बर्बाद नहीं होगी। इस योजना से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।
सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण सह जल संचयन योजना के नोडल पदाधिकारी सोनू कुमार कहते हैं कि खेतों की सिंचाई, जलसंचयन और रोजी के डिस्टिक कौन सी है यह योजना काफी महत्वपूर्ण है। काफी कम खर्च कर किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसे उनकी आमदनी में इजाफा होगा और इलाके में खुशहाली होगी।