मालों की ढुलाई के मकसद से बिहार में एक ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की जरूरत है। इसके लिए सारण में जमीन की उपलब्धता भी है। याचिकाकर्ता की इस याचिका पर पटना उच्च न्यायालय के आदेश है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार अपनी समन्वित राय दें। 28 जुलाई को अगली सुनवाई होगी। उच्च न्यायालय ने पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट सहित प्रदेश के अन्य एयरपोर्ट के निर्माण और नवीनीकरण को लेकर सुनवाई की।
चीफ जस्टिस संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता गौरव कुमार सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में एयरपोर्ट के निर्माण राज्य एवं केंद्र सरकार से जानकारी ली। न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार एवं एयरपोर्ट अथॉरिटी को प्रदेश के एयरपोर्ट निर्माण और नवीनीकरण पर मीटिंग कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान छपरा के सांसद पायलट राजीव प्रताप रूडी के द्वारा एक एक अन्य याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा नहीं है, जबकि देशभर में 19 ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण किया जाना है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार चाहती है कि बिहार में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट का निर्माण हो और इसके लिए केंद्र के द्वारा राज्य सरकार को लेटर भी लिखा जाए।
न्यायालय ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से पूछा कि क्या बिहार में एक से अधिक ग्रीन फील्ड का निर्माण हो सकता है? एएआइ ने जवाब दिया कि यह संभव है। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट निर्माण के लिए बिहार के छपरा में सस्ती दर पर जमीन उपलब्ध है। इस पर कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को समन्वय स्थापित कर जवाब देने को कहा है।
बता दें कि कम विकसित क्षेत्रों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाता है। इसके निर्माण में इस बात को गौर किया जाता है कि एयरपोर्ट निर्माण के समय लोगों को पलायन की नौबत नहीं जाए। ऐसे जगहौ पर ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाता है, जहां जमीन का इस्तेमाल किसी भी प्रकार से नहीं किया गया हो। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट को हरियाली, सोलर पावर एवं पर्यावरण के हित के मद्देनजर रखकर बनाया जाता है। फ्लाइटों के जरिए व्यापार में इस्तेमाल में आने वाली मालों की ढुलाई के लिए यह उपयोगी है।