बिहार में बच्चों की बीमारियों के बारे में शुरुआती दौर में ही पहचान कर लिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के 9 जिलों में डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीइआइसी) की स्थापना हो रही है। ये तमाम जिले प्रमंडलीय मुख्यालय वाले हैं।
बता दें कि डीइआइसी पर बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य की जांच हेतु डेंटल सेवाएं, मेडिकल सेवाएं, किसी तरह के दिव्यांगता दूर करने के लिए फिजियोथेरेपी एवं ऑक्यूपेशनल की सेवाएं, तुतलाहट-हकलाहट की पहचान के लिए ऑडियोलॉजी, मनोवैज्ञानिक सेवाएं, स्पीचलैंग्वेज पैथोलॉजी के जरिए जांच और इलाज किया जाएगा। इसके साथ ही पोषण लैब, दृष्टि दोष लैब, साइको- सोशल और ट्रांसपोर्टेशन सेवाएं इन सेंटरों के माध्यम से मिलेगी।
स्वास्थ्य विभाग के द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य प्रोग्राम के तहत राज्य के दरभंगा, भागलपुर, गया, सारण, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, पूर्णिया, सहरसा और पटना जिले में डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीइआइसी) की स्थापना की जा रही है। वर्तमान में गया, भागलपुर, सहरसा और मुजफ्फरपुर जिले में डीइआइसी भवन निर्माण का काम पूरा हो चुका है।
बाकी पांच जिलों मुंगेर, दरभंगा, पूर्णिया, सारण और पटना में भवन निर्माण का काम चल रहा है। जिन जिलों में डीआईसी भवन निर्माण का काम विभाग पूरा कर चुका है, वहां पर स्वास्थ्य कर्मियों और पारा मेडिकल कर्मियों के बैठने और नियुक्ति की व्यवस्था हो रही है। जिन जिलों में भवन निर्माण पूरा नहीं हुआ है, वैसे जिलों के अधीनस्थ अस्पतालों में डीआईसी के कर्मचारियों के बैठने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था हो रही है, सभी क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई को डीआईसी के संचालन का जिम्मा सौंपा गया है। इन केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता का जिम्मा संबंधित जिले के जिला स्वास्थ्य समिति को सौंपा गया है।