राज्य भागलपुर समेत 6 औद्योगिक जिलों में 10 जलशोधन संयंत्र वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। उद्योग विभाग ने इसका रूपरेखा तैयार कर लिया है। आने वाले वित्तीय वर्ष 2022-23 के राज्य सरकार ने हरित बजट में योजना को शामिल कर के एक करोड़ की निधि भी जारी की है।
आगामी वित्तीय वर्ष में वित्त विभाग से वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद उद्योग विभाग को एक करोड़ का फंड दिया जाएगा। योजना के अनुसार भागलपुर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पटना, औरंगाबाद व दरभंगा जिले के इंडस्ट्रियल एरिया में जलशोधन संयंत्र लगाया जाएंगे।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर उद्योग विभाग ने प्लांट लगाने की योजना तैयार कर ली है। कई मामले की सुनवाई में एनजीटी ने पाया है कि जिस नाले से औद्योगिक इलाके की फैक्ट्रियों का कचरा बहाया जाता है। उसका डंप एरिया पास की नदियां होती हैं। रसायनयुक्त पानी से नदी की मछलियां व अन्य जलीय जीव प्रभावित होते हैं और उसकी मौत हो जा रही है।
फैक्ट्रियों से निकले दूषित पानी के वजह से कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है। एनजीटी की आपत्ति के बाद विभाग ने फैसला लिया कि सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) योजना से राज्य की सभी औद्योगिक क्षेत्र में शोधन के बाद ही नदियों में केमिकल फ्री पानी का प्रवाह किया जाएगा।
बता दें कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के दिशा-निर्देश के मुताबिक प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स ही सीईटीपी का संचालन करेंगे। सीईटीपी की स्थापना में केंद्र और राज्य दोनों सरकार की ओर से आर्थिक अनुदान मिलता है। पांच साल का एक्सपीरियंस रखने वाले प्रोफेशनल एजेंसी को ही इसके रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी दी जाती है। । सीईटीपी की स्थापना स्पेशल पर्पज वेहिकल (एसपीवी) करेगी। एसपीवी निर्धारित करेगी कि किन प्लांटों में फिल्ट्रेशन, रिवर्स ऑसमोसिस या नैनो तरीके से दूषित जल स्वच्छ किया जाना है।
जिन औद्योगिक क्षेत्र में यह प्लांट मिलेगा उनमें फतुआ (पटना), पाटलीपुत्र (पटना), हाजीपुर (वैशाली), बेला (मुजफ्फरपुर),बरारी (भागलपुर), गिद्धा, सिकंदरपुर (बिहटा), दोनार (दरभंगा) ग्रोथ सेंटर (औरंगाबाद), ग्रोथ सेंटर शामिल है।