बिहार के चीनी मिलें चीनी की मिठास के साथ लोगों के घर को भी जगमगाने का काम कर रही है। चीनी मिलों में हो रही इस बिजली उत्पादन से शहरों के घरों में बिजली आपूर्ति का काम हो रहा है। गन्ने के रस से शक्कर बनाने से जो कचरा बनता है, उसी कचरे को उपयोग में लाते हुए बिजली उत्पादन का काम किया जा रहा है।
बिहार के सात चीनी मिलों द्वारा 1,07,489 मेगावाट बिजली का उत्पादन साल 2020-21 के दौरान किया गया। बिहार के दृष्टिकोण से यह बात काफी प्रदेश हित में है। चीनी मामले में भले ही बिहार महाराष्ट्र से पीछे हो लेकिन अब बिजली की उत्पादन कर बिहार आगे बढ़ने की होड़ में शामिल होने जा रहा है।
बिजली के कुल उत्पादन में से 69,210 मेगावाट बिजली चीनी मिलेंबिहार की विद्युत कंपनी को बेचती है। इससे पटना जैसे महानगर को 101 दिनों तक बिजली मुहैया किया जा सकता है। जहां साल 2005 से पहले बिजली का उत्पादन नहीं होता था। वहां अब 10 में से 7 चीनी मिल बिजली का उत्पादन कर रही है। चीनी मिल में बिजली उत्पादन को लेकर सूबे की सरकार भी इस पर जोर दे रही है।
जानकारी के लिए बता दें कि सातों चीनी मिलों की बिजली उत्पादन क्षमता 8.50 मेगावाट प्रति घंटा है। मिलों के संचालन में बिजली खपत 25289.30 मेगावाट है। सहायक विद्युत खपत 12979.27 मेगावाट जबकि बिहार विद्युत कंपनी को 69,210 मेगावाट बिजली बिक्री किया जाता है। वही सालाना उत्पादन 1,07,489 मेगावाट बिजली है।